- नीरज चोपड़ा का सफर काफी दिलचस्प रहा है
- 12 साल की उम्र में उनका वजन काफी ज्यादा यानी 90 किलो था
- नीरज चोपड़ा ने 2016 में IAAAF चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता
भारत अपने शानदार क्रिकेटर्स, हॉकी खिलाड़ियों, बैडमिंटन खिलाड़ियों और निशानेबाजों के लिए जाना जाता है, लेकिन देश के ट्रैक और फील्ड एथलीटों ने शायद ही कभी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बड़ी छाप छोड़ी हो। लेकिन अब नीरज चोपड़ा ने इतिहास रच दिया है। उन्होंने टोक्यो ओलंपिक में भाला फेंक में स्वर्ण पदक जीता है। हरियाणा के पानीपत में जन्मे नीरज एक सनसनी हैं।
नीरज का जन्म 24 दिसंबर 1997 को किसान परिवार में हुआ। उन्होंने 14 साल की उम्र में जैवलिन खेलना शुरू किया और 2016 में IAAAF चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता। 2016 के साउथ एशियन गेम्स में गोल्ड जीता और 2016 में ही एशियन जूनियर चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता। इसके बाद 2017 एशियन एथलेटिक्स चैंपियनशिप में गोल्ड, 2018 के कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मेडल जीता। दोहा डायमंड लीग में गोल्ड मेडल जीता। नीरज को 2018 में अर्जुन अवॉर्ड से नवाजा गया।
12 साल की उम्र में था 90 किलो वजन
बचपन में खाना नीरज की कमजोरी थी। 12 साल की उम्र में उनका वजन 90 किलो था जो कि काफी अधिक था। उन्होंने उन दिनों को काफी पीछे छोड़ते हुए आगे सफलता का रास्ता तय किया। दिलचस्प बात यह है कि उन्होंने अपना वजन कम करने के लिए खेलों से अपनी शुरुआत की। उन्हें शारीरिक गतिविधि से नफरत थी। वजन घटाने के लिए परिवार ने स्टेडियम भेजा। शुरुआत में क्लीयर नहीं थे कि कौन सा खेल चुने, बचपन में पत्थर दूर तक फेंकने का शौक था। यही सोचकर जैवलिन थ्रो का खेल चुना।
नीरज चोपड़ा ने जकार्ता में 2018 एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीता, जहां उन्होंने 88.06 मीटर का एक नया भारतीय राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाया और वो उद्घाटन समारोह में ध्वजवाहक थे। नीरज चोपड़ा ने 2021 में इंडियन ग्रां प्री में 88.07 मीटर फेंककर अपना ही रिकॉर्ड तोड़ा है। नीरज चोपड़ा भारतीय सेना में भी रहे। उन्हें भारतीय सेना में एक जूनियर कमीशंड अधिकारी नियुक्त किया गया था।
देश का लंबा इंतजार खत्म किया
भारत के लिए नीरज चोपड़ा ने ओलंपिक एथलेटिक्स में पहला पदक दिलाया है। इससे उन्होंने भारत का एथलेटिक्स में ओलंपिक पदक जीतने का पिछले 100 साल से भी अधिक का इंतजार समाप्त कर दिया। वो भारत की तरफ से व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीतने वाले दूसरे भारतीय खिलाड़ी हैं इससे पहले निशानेबाज अभिनव बिंद्रा ने बीजिंग ओलंपिक 2008 में पुरुषों की 10 मीटर एयर राइफल में स्वर्ण पदक जीता था। भारत ने पहली बार एंटवर्प ओलंपिक 1920 में एथलेटिक्स में भाग लिया था लेकिन तब से लेकर रियो 2016 तक उसका कोई एथलीट पदक नहीं जीत पाया था। दिग्गज मिल्खा सिंह और पीटी ऊषा क्रमश 1960 और 1984 में मामूली अंतर से चूक गए थे।