- होऊ जिहुई पर डोपिंग का शक
- जिहुई ने गोल्ड मेडल जीता था
- मीराबाई चानू ने सिल्वर जीता
टोक्यो: भारतीय वेटलिफ्टर मीराबाई चानू ने शनिवार को टोक्यो ओलंपिक में महिलाओं के 49 किलो वर्ग में ऐतिहासिक सिल्वर मेडल अपने नाम किया। मणिपुर की 26 साल की चानू ने क्लीन एवं जर्क में 115 किग्रा और स्नैच में 87 किग्रा से कुल 202 किग्रा वजन उठाया। वहीं, चीन की होऊ जिहुई ने 210 किग्रा (94 किग्रा +116 किग्रा) के प्रयास से इस स्पर्धा का गोल्ड जीता जबकि इंडोनेशिया की विंडी कांटिका ऐसाह ने 194 किग्रा (84 किग्रा +110 किग्रा) के प्रयास से ब्रॉन्ज पर कब्जा किया। हालांकि, अब चीनी एथलीट होऊ को लेकर बड़ी खबर सामने आई है। उनपर डोपिंग का शक है।
चानू के सिल्वर का बदल सकता है रंग
कहा जा रहा है कि एथलीट होऊ जिहूई का डोप टेस्ट जल्द किया जा सकता है। वह सोमवार को चीन लौटने वाली थीं, लेकिन फिलहाल उन्हें जापान में ही रुकने का निर्देश दिया गया है। अगर होऊ डोप टेस्ट में नाकाम हो जाती हैं तो ऐसे में मीराबई चानू के सिल्वर मेडल का रंग बदलकर गोल्ड हो सकता है। घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले एक सूत्र ने एएनआई को बताया, 'होऊ को टोक्यो में रुकने के लिए कहा गया है। उनका टेस्ट किया जाएगा। निश्चित रूप से यह टेस्ट होने जा रहा है।' बता दें कि नियमों के मुताबिक, अगर कोई एथलीट डोपिंग टेस्ट में फेल हो जाता है तो सिल्वर जीतने वाले खिलाड़ी को गोल्ड दे दिया जाता है।
चानू सिल्वर जीतने वाली पहली वेटलिफ्टर
मीराबाई चानू वेटलिफ्टिंग में सिल्वर मेडल जीतने वाली भारत की पहली वेटलिफ्टर हैं। इससे पहले साल 2000 के सिडनी ओलंपिक में कर्णम मल्लेश्वरी ने कांस्य पदक जीता था। चानू सिल्वर जीतते ही 2016 में रियो ओलंपिक के खराब प्रदर्शन को भी पीछे छोड़ दिया, जिसमें वह एक भी वैध वजन नहीं उठा सकीं थीं। वह पिछले कुछ महीनों से अमेरिका में ट्रेनिंग कर रही थी। करियर की इस शानदार जीत के बाद चानू ने कहा, 'मैं बहुत खुश हूं, मैं पिछले पांच वर्षों से इसका सपना देख रही थी। इस समय मुझे खुद पर गर्व महसूस हो रहा है। मैंने गोल्ड मेडल की कोशिश की लेकिन सिल्वर भी मेरे लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है।'