- भाविनाबेन पटेल को 12 साल की उम्र में हुआ था पोलियो
- मेहसाणा में पिता चलता है परचून की दुकान
- पति खेल चुके हैं गुजरात के लिए जूनियर लेवल पर क्रिकेट
टोक्यो: भारत की भाविनाबेन पटेल लगातार इतिहास रचते हुए पैरालम्पिक टेबल टेनिस स्पर्धा के फाइनल में पहुंचने वाली पहली भारतीय बन गईं, जिन्होंने चीन की मियाओ झांग को क्लास 4 वर्ग के कड़े मुकाबले में 3-2 से हराया। पटेल ने दुनिया की तीसरे नंबर की खिलाड़ी को 7-11, 11-7, 11-4, 9-11, 11-8 से हराकर भारतीय खेमे में भी सभी को चौंका दिया। अब फाइनल में उनका सामना दुनिया की नंबर एक खिलाड़ी चीन की यिंग झोउ से होगा ।
गुजरात के मैहसाणा जिले में एक छोटी परचून की दुकान चलाने वाले हंसमुखभाई पटेल की बेटी भाविना को पदक का दावेदार भी नहीं माना जा रहा था लेकिन उन्होंने अपने प्रदर्शन से इतिहास रच दिया। बारह वर्ष की उम्र में पोलियो की शिकार हुई पटेल ने कहा, 'जब मैं यहां आई तो मैने सिर्फ अपना शत प्रतिशत देने के बारे में सोचा था। अगर ऐसा कर सकी तो पदक अपने आप मिलेगा। मैंने यही सोचा था।'
स्वर्ण पदक जीतने को हूं तैयार
उन्होंने कहा, 'अगर मैं इसी आत्मविश्वास से अपने देशवासियों के आशीर्वाद के साथ खेलती रही तो कल स्वर्ण जरूर मिलेगा। मैं फाइनल के लिये तैयार हूं और अपना शत प्रतिशत दूंगी।'
हार के साथ मैच में की शुरुआत, फिर की शानदार वापसी
व्हीलचेयर पर खेलने वाली पटेल ने पहला गेम गंवा दिया लेकिन बाद में दोनों गेम जीतकर शानदार वापसी की। तीसरा गेम जीतने में उन्हें चार मिनट ही लगे। चौथे गेम में चीनी खिलाड़ी ने फिर वापसी की लेकिन निर्णायक पांचवें गेम में पटेल ने रोमांचक जीत दर्ज करके फाइनल में प्रवेश किया।
दुनिया की पूर्व नंबर एक खिलाड़ी को दी मात
दुनिया की पूर्व नंबर एक खिलाड़ी झांग के खिलाफ पटेल की यह पहली जीत थी। दोनों इससे पहले 11 बार एक दूसरे से खेल चुके हैं। पटेल को पहले ग्रुप मैच में झोउ ने आसानी से हराया था। उनके खिलाफ फाइनल जीतना आसान नहीं होगा। पटेल ने क्वार्टर फाइनल में 2016 रियो पैरालम्पिक की स्वर्ण पदक विजेता और दुनिया की दूसरे नंबर की खिलाड़ी बोरिस्लावा पेरिच रांकोविच को हराया था।
क्लास 4 वर्ग के खिलाड़ियों का बैठने का संतुलन सही रहता है और हाथ पूरी तरह से काम करते हैं। उनके शरीर में विकार मेरूदंड में चोट के कारण होता है।
13 साल पहले हुई थी टेबल टेनिस की शुरुआत
पटेल ने 13 साल पहले अहमदाबाद के वस्त्रापुर इलाके में नेत्रहीन संघ में खेलना शुरू किया जहां वह दिव्यांगों के लिये आईटीआई की छात्रा थी। बाद में उन्होंने दृष्टिदोष वाले बच्चों को टेबल टेनिस खेलते देखा और इसी खेल को अपनाने का फैसला किया। उन्होंने अहमदाबाद में रोटरी क्लब के लिये पहला पदक जीता।उनका विवाह निकुंज पटेल से हुआ जो गुजरात के लिये जूनियर क्रिकेट खेल चुके हैं।