- विनेश फोगाट ने बर्मिंघम में गोल्ड जीता
- वह टोक्यो ओलंपिक में पदक नहीं जीत पाई थीं
- वह ओलंपिक में लगातार दो बार पदक से चूकीं
बर्मिंघम कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में ऐतिहासिक गोल्ड जीतने के बाद भारत की स्टार पहलवान विनेश फोगाट ने एक चौंकाना वाला खुलासा किया है। फोगाट का कहना है कि वह पिछले साल टोक्यो ओलंपिक में पदक से चूकने के बाद कुश्ती छोड़ देना चाहती थीं। हालांकि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बातचीत ने उन्हें कुश्ती जारी रखने के लिए प्रेरित किया। बता दें कि फोगाट टोक्यो में अंतिम आठ चरण में बाहर हो गईं थीं, जिससे उन्हें बेहद निराशा का सामना करना पड़ा। इससे पहले, फोगाट की 2016 रियो ओलंपिक में क्वार्टरफाइनल में घुटने की चोट के चलते मेडल की उम्मीदें समाप्त हो गई थीं।
'इससे जज्बा फिर से जाग गया'
फोगाट ने पीटीआई से कहा, 'निश्चित रूप से, आप कह सकते हैं (विनेश 2.0 रिलोडिड)। मैं मानसिक रूप से बहुत बड़े ‘बैरियर’ को पार करने में सफल हुई हूं। मैंने लगभग कुश्ती छोड़ ही दी थी क्योंकि दो ओलंपिक में मैं एक पदक नहीं जीत सकी थी। ओलंपिक किसी भी खिलाड़ी के लिए बड़ा मंच होता है। लेकिन मेरे परिवार ने हमेशा मेरा समर्थन किया, उन्हें हमेशा मेरी काबिलियत पर भरोसा रहा।' उन्होंने कहा, 'जब मैं निराश थी तो मैं मोदी जी (नरेंद्र मोदी) से मिली थी और उन्होंने मुझे प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि हमें आप पर भरोसा है और आप कर सकती हो। इससे मेरे अंदर जज्बा फिर से जाग गया।'
फोगाट की गोल्ड की हैट्रिक
फोगाट ने बर्मिंघम में महिलाओं की 53 किग्रा (नॉर्डिक) भारवर्ग की स्पर्धा में राउंड रॉबिन के आधार पर खेले गए तीन मुकाबलों में जीत दर्ज करके गोल्ड मेडल पर कब्जा किया। फोगाट ने इसी के साथ कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मेडल की हैट्रिक बना ली। दिलचस्प बात यह रही कि फोगाट ने तीनों बार अलग-अलग भारवर्ग में स्वर्ण पदक अपने नाम किया। उन्होंने साल 2014 में ग्लास्गो में आयोजित हुए राष्ट्रमंडल खेलों में 48 किग्रा जबकि 2018 में गोल्ड कोस्ट कॉमनवेल्थ गेम्स में 50 भारवर्ग में स्वर्ण जीता था।
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