- मै अपना पूरा ध्यान खेल पर लगाना चाहता हूं- नीरज चोपड़ा
- स्वर्ण पदक तो एक को ही मिलता है और पूरे विश्व के एथलीट इसके लिए मेहनत करते हैं- नीरज चोपड़ा
Neeraj Chopra Interview: टोक्यो ओलंपिक्स में गोल्ड मेडलिस्ट जीतने वाले नीरज चोपड़ा ने 'टाइम्स नाउ नवभारत' से एक्सक्लूसिव बातचीत की। जेवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा ने इस दौरान अपने दिल से जुड़े कई राज खोले। टाइम्स नाउ नवभारत की एडिटर इन चीफ नाविका कुमार से बातचीत में नीरज ने बताया कि ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतकर कैसा महसूस कर रहे हैं। इसके अलावा चोपड़ा ने यह भी बताया कि उन्होंने भारत के तिरंगे को मोड़कर बैग में क्यों रखा था। साथ ही नीरज चोपड़ा ने बताया कि देश के लिए गोल्ड मेडल जीतना सबसे गर्व की बात रही। नीरज चोपड़ा को सबसे बड़ी खुशी इस बात की है कि उनके मेडल जीतने पर देश में खुशी का माहौल था। लोग उनकी जीत का जश्न मना रहे थे और लोगों के चेहरों पर खुशी के आंसू व मुस्कान थी। वीडियो में देखिए कि किस तरह नीरज चोपड़ा ने इंटरव्यू के दौरान खुलकर अपनी भावनाएं जाहिर की।
नीरज चोपड़ा से जब पूछा गया कि इस वक्त आपके प्रशंसकों की संख्या (फैन फॉलोइंग) किसी फिल्मी सितारे से कम नहीं है, खासकर लड़कियों में, तो उन्होंने कहा, ‘‘ देखिए ये अच्छी बात है...लेकिन मैं सबसे ज्यादा ध्यान खेल पर रखना चाहता हूं , मैं अपना पूरा ध्यान खेल पर रखना चाहता हूं।’’ उन्होंने चैनल से कहा, ‘‘मैं इस बारे में तो यही बोलना चाहूंगा कि ये अच्छी बात है कि उनकी तरफ से इतना प्यार मिल रहा है लेकिन अब मेरा पूरा ध्यान अगले साल होने वाले एशियाई खेलों और विश्व चैंपियनशिप के अलावा आने वाले टूर्नामेंट और (अगले) ओलंपिक पर है।’’
चोपड़ा ने सोमवार को तोक्यो में भाला फेंक के फाइनल में 87.58 मीटर भाला फेंक कर स्वर्ण पदक जीता था। यह भारत का ओलंपिक में एथलेटिक्स में पहला पदक है। वह ओलंपिक में व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीतने वाले दूसरे भारतीय खिलाड़ी बने। उन्होंने पेरिस ओलंपिक के बारे में पूछे गये सवाल पर कहा, ‘‘ वह उसी समय देखेंगे, उसके बारे में उसी समय पता चलेगा लेकिन मैं अपनी तरफ से उसके लिए पूरी मेहनत करूंगा, और इस चीज से थोड़ी कोशिश करूंगा..जैसा आपने कहा कि सुपरस्टार वाली सोच वो थोड़ा न ही आए तो अच्छा रहेगा’’
उन्होंने खेलों में ऐसी सोच को खतरनाक करार देते हुए कहा, ‘‘बस अपनी ट्रेनिंग अच्छे से करुंगा और उसी पर ज्यादा ध्यान रखूंगा क्योंकि मुझे लगता है वही चीज बहुत जरूरी है। खेलों में ऐसी सोच आना थोड़ा खतरनाक हो जाता है। मैं खेल पर अपना सबसे ज्यादा ध्यान रखूंगा।’’ अपने स्वर्ण पदक को मिल्खा सिंह के नाम किये जाने के बारे में पूछे जाने पर इस 23 साल के खिलाड़ी ने कहा, ‘‘ मैंने उनका वह साक्षात्कार देखा था जिसमें वह कह रहे थे कि उनका एक सपना है कि कोई अपने देश का नौजवान या कोई भी लड़की वहां जाए और (एथलेटिक्स में) पदक लेकर आए और जब ऐसा हुआ तो खासकर राष्ट्रगान पर उन्हें बहुत ज्यादा खुशी होती कि उनका सपना पूरा हो गया।’’
उन्होंने चैनल से कहा, ‘‘जब भी चंडीगढ़ या पटियाला की तरफ जाता था तो मैं मिल्खा सिंह जी से मिलने के बारे में सोचता था। ओलंपिक के थोड़े दिन ही बचे थे तो मैं इतनी मेहनत करना चाहता था कि पदक जीत सकूं। स्वर्ण पदक तो एक को ही मिलता है और पूरे विश्व के एथलीट इसके लिए मेहनत करते हैं।’’ चोपड़ा ने कहा, ‘‘उस समय मुझे यह नहीं पता था कि स्वर्ण पदक मुझे ही मिलेगा लेकिन हां मैं उसके लिए मेहनत कर रहा था। अब जब स्वर्ण मिला है तो लगा कि हमारे देश के एथलीट जिनका बहुत अच्छा परफॉर्मेंस रहा है उसमें मिल्खा सिंह जी हैं, पीटी ऊषा मैम हैं , ये बहुत कम समय से पदक से चूक गए थे। मिल्खा जी अब हमारे बीच नहीं हैं पर वो जहां भी हैं इस चीज को देखकर खुश होंगे।’’