- PM किसान वेबसाइट का एक हिस्सा रजिस्टर्ड किसानों का आधार नंबर लीक कर रहा था
- इस खामी को मई के अंत तक ठीक कर लिया गया था
- CERT-In ने खामी को ध्यान में लाने के लिए रिसर्चर की तारीफ की है
भारत में कृषि क्षेत्र के कल्याण के लिए बनाई गई एक सरकारी वेबसाइट से बड़ी संख्या में किसानों का आधार डेटा एक्सपोज हो रहा था। ये जानकारी एक सिक्योरिटी रिसर्चर के हवाले से मिली है। ये वेबसाइट PM Kisan है। इस साइट के जरिए सरकार प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि कार्यक्रम के तहत पैसे का वितरण करती है। एक खामी के चलते इस वेबसाइट का एक पार्ट रिजस्टर्ड किसानों के आधार नंबर्स को पब्लिकली एक्सपोज कर रहा था। इस वेबसाइट में साल 2019 से 110 मिलियन से ज्यादा किसान रजिस्टर्ड हैं।
सिक्योरिटी रिसर्चर ने अतुल नायर ने Medium पर एक पोस्ट में कहा कि PM किसान वेबसाइट का एक हिस्सा रजिस्टर्ड किसानों का आधार नंबर लीक कर रहा था। जनवरी के अंत में रिसर्चर द्वारा इसे सबसे पहले स्पॉट किया गया था और इसकी जानकारी इंडिया के कम्प्यूटर इमरजेंसी रिस्पॉन्स टीम (CERT-In) को दी गई थी। रिपोर्ट मिलते ही नोडल एजेंसी ने ये जानकारियां संबंधित विभाग तक पहुंचाई। हालांकि, उन्हें इसे ठीक करने में कुछ महीने लग गए।
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नायर ने अपनी पोस्ट में बताया कि इस खामी को मई के अंत तक ठीक कर लिया गया था। हालांकि, ये कंफर्म नहीं है कि क्या इस खामी को ठीक किए जाने तक किसी अटैकर ने डेटा को एक्सेस तो नहीं किया। CERT-In ने खामी को ध्यान में लाने के लिए रिसर्चर की तारीफ की है।
आपको बता दें कि ये पहली बार नहीं है जब लोगों को आधार डेटा किसी वेबसाइट के जरिए लीक हुआ हो। एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2019 में भी झारखंड की एक सरकारी वेबसाइट से हजारों लोगों के यूनिक आइडेंटिफिकेशन नंबर लीक हुए थे।
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भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) के अनुसार, देश में व्यक्तियों की आधार संख्या गोपनीय प्रकृति की नहीं है। फिर भी, प्राधिकरण यूजर्स को सार्वजनिक प्लेटफार्म्स पर आधार कार्ड साझा करने का सुझान नहीं देता है।