- पत्रिका 'नेचर एस्ट्रानॉमी' में प्रकाशित रिपोर्ट में शुक्र के बादलों में जीवन की संभावना नजर आई
- कई अन्य विशेषज्ञों ने इसे काफी आकर्षक बताया है लेकिन कहा है कि अभी पुख्ता सबूत नहीं मिले
- पृथ्वी पर हानिकारक फॉस्फीन गैस केवल वहीं पाई जाती है जहां जीवन की संभावना होती है
नई दिल्ली : खगोलशास्त्रियों को धरती के बाहर एक बार फिर जीवन की संभावना दिखी है। वैज्ञानिकों का कहना है कि ऐसे संकेत मिले हैं कि पड़ोसी ग्रह शुक्र के वातावरण में जीवाणु मौजूद हो सकते हैं। पत्रिका 'नेचर एस्ट्रानॉमी' में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक हवाई और चिली में लगे दो दूरबीनों से ग्रह के बादलों में फॉस्फीन गैस की मौजूदगी का पता चला है। पृथ्वी पर यह हानिकारक गैस केवल वहीं पाई जाती है जहां जीवन की संभावना होती है।
रिपोर्ट के लेखकों के अलावा कई अन्य विशेषज्ञों ने इसे काफी आकर्षक बताया है लेकिन साथ ही कहा है कि यह किसी दूसरे ग्रह पर जीवन की मौजूदगी बताने वाले पहले प्रमाण से अभी कोसों दूर है। वैज्ञानिकों का कहना है कि यह खोज दिवगंत कार्ल सैगन के उस सिद्धांत 'असाधारण दावों की असाधारण साक्ष्यों की जरूरत होती है' को पूरा नहीं करती। सैगन ने 1967 में शुक्र के बादलों में जीवन होने की संभावना पर अटकलें जताई थीं।
स्टडी के को-ऑथर डेविड क्लेमेंट्स ने कहा, 'यह कोई स्मोकिंग गन नहीं है। यहां तक कि यह बंदूक की गोली चलने के बाद वातावरण में उसके अवशेष जैसा भी नहीं है। फिर भी वातावरण में कुछ ऐसा है जो कुछ अलग सा संकेत दे रहा है।' हमारे सौर प्रणाली से बाहर के ग्रहों पर जीवन की खोज करते हैं और इसके लिए सबसे प्रचलित तरीका केमिकल सिग्नेचर की तलाश करना होता है।
पृथ्वी पर केवल दो तरीकों से फॉस्फीन गैस की उत्पति होती है। इसमें एक ही औद्योगिक प्रक्रिया और दूसरा है जानवरों एवं जीवाणुओं के सपर्क में आना। कुछ वैज्ञानिक फॉस्फीन को कचरे का उत्पाद मानते हैं जबकि दूसरे इसे सहमत नहीं है।