बीजिंग : कोविड-19 के फैलाव को लेकर चीन दुनिया भर के देशों के निशाने पर है। भारत के साथ सीमा पर उसका गतिरोध भी चल रहा है लेकिन इन चीजों से बेपरवाह वह अपने अंतरिक्ष मिशन को पूरा करने में जुटा हुआ है। चीन ने गुरुवार को मंगल ग्रह के लिए अपने पहले मिशन तिआनवेन-1को सफलतापूर्व लॉन्च किया। समझा जाता है कि इस मिशन से चीन अंतरिक्ष के क्षेत्र में अपनी तकनीकी क्षमताओं को दुनिया से सामने प्रदर्शित करना चाहता है। इस उपग्रह को चीन के सबसे बड़े रॉकेट लॉन्ग मार्च 5 वाई-4 से रवाना किया गया। रॉकेट को हेनान प्रांत स्थित वेनचांग स्पेस लॉन्च सेंटर से लॉन्च किया गया। इस मिशन के फरवरी तक मंगल पर पहुंचने की उम्मीद जताई गई है।
उपग्रह में लगा रोवर मंगल ग्रह के सतह पर उतरकर 90 दिनों तक उसकी संरचना की जांच करेगा। चीन अपने इस मिशन में यदि सफल हो जाता है तो इस ग्रह पर उतरने वाला और रोवर के जरिए सतह का परीक्षण करने वाला वह दुनिया का पहला देश बन जाएगा। इस मिशन के प्रवक्ता लिउ तोंगजी ने रॉकेट की लॉन्चिंग से पहले मीडिया से कहा कि मंगल ग्रह के नजदीक पहुंचने पर उपग्रह के लिए चुनौती पेश आएगी। उन्होंने कहा, 'मंगल ग्रह के वातावरण में पहुंचने के बाद उपग्रह की गति धीमी करना एक बड़ी चुनौती होगी।'
मंगल ग्रह के गुरुत्वाकर्षण का हवाला देते हुए प्रवक्ता ने कहा, 'यान की गति कम करने की प्रक्रिया यदि सही नहीं हुई या सतह पर उतरने की उसकी सटीकता में गड़बड़ी आई तो इस मिशन में दिक्कत आ सकती है।' उन्होंने बताया कि यह मिशन मंगल ग्रह की कक्षा में ढाई महीने तक चक्कर लगाएगा इसके बाद वह उसके वातावरण में दाखिल होकर सॉफ्ट लैंडिंग की कोशिश करेगा।
लिउ ने कहा, 'ग्रह की कक्षा में प्रवेश करना, यान की गति धीमी करना और फिर उसकी लैंडिंग कराना बहुत ही कठिन एवं जटिल प्रक्रिया होती है। हमारा मानना है कि यह प्रक्रिया सफल हो सकती है और अंतरिक्ष यान सफलता पूर्वक मंगल ग्रह पर उतर सकता है।' अमेरिका, यूरोप और भारत के आठ अंतरिक्षयान या तो अभी मंगल ग्रह की कक्षा की परिक्रमा कर रहे हैं या उसकी सतह पर उपग्रह उतारने की योजना पर काम कर रहे हैं। संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने सोमवार को अपना एक मिशन मंगल ग्रह की ओर रवाना किया। यह उपग्रह मंगल के वातावरण की जांच करेगा।