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'जुगाड़' की तकनीक से उम्मीद की किरण, पेट्रोल खर्च आधा करने का दावा

Updated Jun 08, 2021 | 08:32 IST

यूपी के कौशांबी के रहने वाले विवेक पटेल ने एक ऐसी तकनीक को इजाद करने का दावा किया है जिसके इस्तेमाल से आपके बाइक की माइलेज करीब करीब दोगुनी हो जाएगी।

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कौशांबी के विवेक पटेल का कहना है कि उसकी तकनीक से पेट्रोल खर्च में आएगी कमी
मुख्य बातें
  • फ्यूल इंजेक्शन तकनीक में विवेक पटेल ने किया बदलाव
  • तकनीक में बदलाव की वजह से बाइक की माइलेज में इजाफा
  • दुपहिया वाहनों का एवरेज दोगुना होने का दावा

इस समय देश के अलग अलग शहरों में पेट्रोल शतकवीर बन चुका है, और डीजल कीमतों के मामले में शतक के करीब पहुंचने के करीब है। ऐसे में दोपहिया वाहन इस्तेमाल करने वालों के सामने बड़ी चुनौती खर्चे को लेकर रहती है। सीमित आमदनी वालों के सामने यह मुश्किल और बढ़ जाती है। अब इस तरह के हालात का सामना करने के लिए दो ही विकल्प हैं  या तो पेट्रोल की कीमत में कमी हो या कोई ऐसा तरीका हो जिससे बाइक के माइलेज बढ़ जाए। अब जहां तक पहले विकल्प की बात है पेट्रोल या डीजल की कीमतें खुले बाजार के हवाले है तो उस पर नियंत्रण स्थापित करना आसान नहीं है। लेकिन माइलेज बढ़ाने वाली तकनीक आप को मुहैया हो जाए तो क्या कहने। आप सबकी परेशानी को दूर करने के लिए यूपी के कौशांबी के रहने वाले विवेक पटेल ने जिस जुगाड़ तकनीक का इजाद किया है उसे जबरदस्त प्रशंसा मिल रही है। 

कौशांबी के लाल का कमाल
जागरण की खबर के मुताबिक विवेक पटेल जीवनयापन के लिए शटरिंग का काम करते हैं लेकिन उनकी रुचि तकनीक के क्षेत्र में अधिक है, वो समय निकाल कर दोपहिया वाहनों की फ्यूल तकनीक पर काम करते हैं कि किस तरह से बाइक की एवरेज को बढ़ाया जा सके। 40 वर्ष के विवेक पटेल सिर्फ 12वीं पास हैं, लेकिन उनके कई इजाद के बाद इलाके के लोग उनकी कद्र करते हैं। यही नहीं विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी विभाग ने उन्हें 25 हजार रुपयए  का इनाम भी दिया था। 

माइलेज बढ़ाने की यह है तकनीक
अब यह समझना जरूरी है कि विवेक पटेल ने किस तरह से फ्यूल जेट में बदलाव कर माइलेज को बढ़ाने में सफलता हासिल की। जानकार कहते हैं कि फ्यूल इंजेक्शन तकनीक के जरिए बाइक की इंजन में पेट्रोल जाता है। इस संबंध में विवेक बताते हैं कि कार्बोरेटर जेट के सबसे निचले हिस्से में करीब 2 मिलीमीटर का सुराख होता है कि जिसके जरिए पेट्रोल वाष्पीकृत होकर इंजन में जाता है। लेकिन इस प्रक्रिया में ज्यादातर पेट्रोल की बर्बादी हो जाती है। उन्हें समझ में आया अगर उस दो एमए व्यास वाले सुराख को बंद कर दो छोटे छोटे सुराख किए जाएं तो ज्यादा बेहतर रहेगा। उन्होंने अपनी सोच को जमीन पर उतारा और उसका फायदा भी मिला।