- इस जासूसी सॉफ्टवेयर का मुद्दा पहले भी खूब गर्माया था
- ये एक स्पाइवेयर है
- इसे इजरायली फर्म NSO ग्रुप ने डेवलप किया है
बाते दिनों जासूसी सॉफ्टवेयर Pegasus को लेकर न्यू यॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट सामने आई, जिससे देश में सियासी पारा फिर चढ़ गया है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत सरकार ने साल 2017 में इजरायल से 2 अरब डॉलर की एक भारी-भरकम डील के साथ मिसाइल के अलावा पेगासस को भी खरीदा था। इस जासूसी सॉफ्टवेयर का मुद्दा पहले भी खूब गर्माया था। अब चूंकि, ये एक बार फिर चर्चा में है तो आइए जानते हैं कि आखिर ये सॉफ्टवेयर क्या है और कैसे काम करता है?
क्या है पेगासस? (What is Pegasus)
ये एक स्पाइवेयर है। यानी एक ऐसा सॉफ्टवेयर जो जासूसी करता है। इसे इजरायली फर्म NSO ग्रुप ने डेवलप किया है। इस सॉफ्टवेयर को इस तरह डिजाइन किया गया है कि ये यूजर की बिना परमिशन भी किसी फोन या कम्प्यूटर में एंट्री ले सकता है और उसकी निजी जानकारियां थर्ड पार्टी को फॉर्वर्ड कर सकता है। इसे अब तक का सबसे शक्तिशाली जासूसी सॉफ्टवेयर माना जाता है। ये एंड्रॉयड और iOS किसी भी डिवाइस भी एंट्री लेने में सक्षम है।
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पेगासस को बनाने का उद्देश्य क्या है?
इजरायल का जासूसी सॉफ्टवेयर पिछले एक दशक में दुनिया के 40 देशों को बेचा जा चुका है और इसे बनाने वाला ग्रुप हजारों करोड़ का मालिक बन गया है। बनाने वाली कंपनी के दावे के मुताबिक इसे इसलिए बनाया गया है ताकी आतंकवादियों और अपराधियों की जासूसी कर उन्हें पकड़ा जा सके। लेकिन, बीते सालों में दुनियाभर की सरकारों पर मनचाहे काम के लिए लोगों की जासूसी करने का आरोप है। भारत की मोदी सरकार पर भी इसके लिए विपक्षी नेताओं, पत्रकारों और व्यापारियों की जासूसी का आरोप लग चुका है।
पेगासस कैसे करता है काम?
ये जासूसी सॉफ्टवेयर iOS और एंड्रॉयड में मौजूद बग्स या इनकी कमियों का फायदा उठाता है। ये इतने शातिर तरीके से काम करता है कि आपके फोन में लेटेस्ट अपडेट भी हो तब भी ये फोन में घुस जाता है। इस सॉफ्टवेयर को फोन जैसी किसी दूसरी डिवाइस में दूरे बैठकर भी इंस्टॉल किया जा सकता है। साल 2016 तक पेगासस को यूजर के फोन में एंट्री लेने के लिए यूजर द्वारा किसी टेक्स्ट या लिंक पर क्लिक करने की जरूरत होती थी।
लेकिन, साल 2019 से पेगासस जीरो क्लिक सॉफ्टवेयर बन गया। यानी इस सॉफ्टवेयर को किसी डिवाइस में एंट्री लेने के लिए किसी लिंक की जरूरत नहीं पड़ती। ये अब केवल एक वॉट्सऐप मिस्ड कॉल से भी आपके फोन में एंट्री लेने में सक्षम है। खास बात ये है कि ये इस तरह से काम करता है इसकी भनक भी यूजर को नहीं लगती।
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फोन में एक बार एंट्री लेने के बाद ये वायरस आपके पूरे फोन को एक तरह से अपने कब्जे में ले लेता है। यानी ये आपको बिना पता चले आपके कैमरे से वीडियो रिकॉर्ड कर सकता है, आपकी कॉल को रिकॉर्ड कर सकता है और GPS के जरिए आपकी लोकेशन ट्रैक कर सकता है। इन सबके अलावा ये फोन के मैसेज, कॉन्टैक्ट नंबर, कॉल हिस्ट्री, कैलेंडर, ईमेल, ब्राउजिंग हिस्ट्री समेत हर जानकारी चुरा सकता है।
ये इतना खतरनाक है कि ये वॉट्सऐप चैट्स को एन्क्रिप्ट होने से पहले और डिक्रिप्ट होने के बाद एक्सेस भी कर सकता है। लेकिन, इससे आम आदमी को डरने की जरूरत इसलिए नहीं है क्योंकि जब तक कोई यूजर खरीदने वाले के टारगेट में ना हो इसका इस्तेमाल नहीं किया जाता। इसे खरीदने के लिए भी करोड़ों की जरूरत होती है।