- चीन से जुड़ी कंपनियों पर भारत सरकार ने फिर की एक बार बड़ी कार्रवाई
- चीन के 47 और ऐप बैन कर दिए हैं, क्लोन के तौर पर कर रहे थे काम
- इन ऐप्स पर लगा है यूजर्स की डेटा चोरी का आरोप
नई दिल्ली: भारत सरकार ने 47 और चीनी ऐप्स पर प्रतिबंध लगा दिया। इसे चीन पर भारत की दूसरी डिजिटल स्ट्राइक के रूप में देखा जा रहा है। इससे पहले लद्दाख की गलवान घाटी में भारत और चीनी सैनिकों के बीच हुई खूनी झड़प के बाद जून के अंत में ही सरकार द्वारा 59 चीनी ऐप्स को प्रतिबंधित कर दिया गया था जिसमें प्रसिद्ध टिक-टॉक, शेयर ईट, कैम स्कैनर तथा यूजी ब्राउजर जैसे ऐप भी शामिल था। टाइम्स नाउ के मोहित भट्ट ने बताया कि ये 47 ऐप्स उन 59 चीनी ऐप्स के क्लोन के रूप में काम कर रहे थे, जिन्हें पहले प्रतिबंधित कर दिया गया था।
अब पबजी की बारी!
इन ऐप्स पर यूजर्स की डेटा चोरी का आरोप लगा है। सरकार लगातार चीनी ऐप्स पर नजर बनाए हुए है। अब सरकार की नजर 275 ऐसे ऐप्स पर है जो चीनी हैं जिनमें प्रसिद्ध गेम एप पबजी भी शामिल है। ऐप्स को लेकर सरकार यह पता करने में जुटी हुई है कि आखिर इन्हें कौन फंडिंग कर रहा है। ये सभी ऐप यूजर्स की नजता का उल्लंघन कर रहे थे। सूत्रों की मानें तो सरकार कुछ और ऐप्स की जो लिस्ट बना रही है उसमें पबजी और अली एक्सप्रेस जैसे पॉपुलर ऐप्स शामिल हैं जिनके भारत में करोड़ों यूजर्स हैं। हालांकि सरकार की तरफ से इसे लेकर अभी कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं हुआ है।
आईटी मंत्रालय ने लिखा पत्र
समाचार एजेंसी पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से बताया कि इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने संबंधित कंपनियों को एक लिखित पत्राचार के जरिए कहा है कि ये ऐप्स प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से गैर कानूनी रूप से संचालित हो रहे हैं जो सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के तहत अपराध है। इसमें कहा गया है कि यदि कोई भी प्रतिबंधित ऐप भारत में किसी भी तरह से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से उपलब्ध पाया गया, तो सरकार इसे अपने आदेशों के उल्लंघन के रूप में देखेगी।
29 जून को बैन किए थे 59 ऐप्स
सरकारी संचार ने रेखांकित किया कि संप्रभु शक्तियों और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 69 ए के तहत ऐप्स पर प्रतिबंध लगा दिया गया। इससे पहले 29 जून के आदेश को जारी करते हुए, आईटी मंत्रालय ने कहा था कि उसे 59 मोबाइल ऐप के खिलाफ कई शिकायतें मिलीं है। इनमें से कई एंड्रॉइड और आईओएस प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध ऐप अनधिकृत तरीके से उपयोगकर्ताओं के डेटा को चोरी और प्रसारित करने का आरोप था।