3000 साल पहले मिस्र में दफन किए गए एक पुजारी के ममी पर इटली के मिलान में शोध किया जा रहा है। वैज्ञानिकों को इस शोध से बहुत कुछ बता चलने की आस है ।
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तस्वीर साभार: Reuters
इटली के मिलान में किया जा रहा है ममी पर रिसर्च।
मुख्य बातें
इटली में एक ममी पर हो रहा है रिसर्च
3000 साल पहले दफन किए गए एक पुजारी की है ममी
इटली के मिलान में हो रहा है शोध
नई दिल्ली: मिस्र की ममी पर दुनिया भर में तमाम रिसर्च हुए है। हर रिसर्च में नई बात सामने आती रही है। हाल ही में मिस्र के पुजारी के एक ममी (एंखेखोंसू) का इटली के एक अस्पताल में सीटी स्कैन किया जा रहा है।
गौर हो कि मिस्र के एक प्राचीन पुजारी एंखेखोंसू की ममी को बर्गामो के सिविक पुरातत्व संग्रहालय से मिलान के पोलीक्लिनिको अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया गया था।
इस पुजारी को 3000 साल पहले दफन किया गया था। पुजारी के इस ममी पर अध्ययन के लिए आधुनिक तकनीक का सहारा लिया जा रहा है। ममी को सीटी स्कैन के लिए इटली के मिलान शहर में लाया गया है। ममी प्रोजेक्ट रिसर्च की निदेशक सबीना मालगोरा ने कहा कि ममियां व्यावहारिक रूप से एक जैविक संग्रहालय हैं, वे एक समय कैप्सूल की तरह हैं।
मालगोरा ने कहा कि ममी के नाम की जानकारी 900 और 800 ईसा पूर्व के ताबूत से मिलती है, जहां अंखेखोंसु - जिसका अर्थ है 'भगवान खोंसू जीवित है' । जीवन के बारे में और मृत्यु के बाद इस्तेमाल किए जाने वाले दफन के रीति-रिवाजों को जानने के लिए सीटी स्कैन जैसी आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं।
शोध के तहत यह जानने की कोशिश होगी कि उस वक्त का जीवन कैसा था। उस वक्त किसी के मृत्यु के बाद दफनाने का रीति रिवाज कैसा था। सीजी स्कैन से किए जा रहे वैज्ञानिक जांच में पुजारी की पूरी जैविक और रोग संबंधी प्रोफाइल मिल सकती है।
शोधकर्तओं का मानना है कि इसके अंदर छिपे कई राज का खुलासा हो सकता है जिसमें मौत के समय उम्र, उसका कद और उसके जीवन के दौरान होने वाली सभी बीमारियों या घाव भी शामिल है।