- टीचर्स डे हर साल 5 सितंबर को मनाया जाता है
- पहली बार 60 के दशक में टीचर्स डे मनाया गया था
- आप शायरी के जरिए भी शुभकामना संदेश भेज सकते हैं
Teachers Day Shayari Quotes Images: देश में 5 सितंबर पर शिक्षक दिवस यानी टीचर्स डे मनाया जाता है। ये जीवन को सही मार्ग दिखाने वाले गुरुओं को समर्पित होता है। डॉ. सर्वपल्ली राधा कृष्णन के जन्मदिन को टीचर्स डे के तौर पर मनाया जाता है। पहली बार शिक्षक दिवस 1962 में मनाया गया था।
टीचर्स के मौके पर आप अपने गुरु, शिक्षक, उस्ताद को इन शायरियों के जरिए भी शुभकामना दे सकते है जिनमें शायरी में गुरु की महिमा और सम्मान को पिरोया गया है। आप भी अपने शिक्षकों को टीचर डे शायरी भेजना चाहते हैं तो इन शायरियों को भेज सकते हैं।
टीचर्स डे की हिंदी शायरी:
वही शागिर्द हैं जो खिदमत-ए-उस्ताद करते हैं
जिसे देता है हर व्यक्ति सम्मान,
जो करता है वीरों का निर्माण।
जो बनाता है इंसान को इंसान,
ऐसे गुरु को हम करते हैं प्रणाम।
उसके ज्ञान का आदि न अंत यहां।
गुरू ने दी शिक्षा जहां,
उठी शिष्टाचार की मूरत वहां।
शांति का पढ़ाया पाठ,
अज्ञान का मिटाया अंधकार,
गुरू ने सिखाया हमें,
नफरत पर विजय है प्यार।
इस कलयुग में भगवान की सूरत है गुरू।
भगवान ने दी जिंदगी,
माँ-बाप ने दिया प्यार,
पर सीखने और पढ़ाई के लिए ए गुरु हम है तेरे शुक्रगुजार।
सत्य का पाठ जो पढ़ाये,
वही सच्चा गुरू कहलाये,
जो ज्ञान से जीवन को आसान बनाये,
वही सच्चा गुरू कहलाये।
सर पर होता जब गुरू का हाथ,
तभी बनता जीवन का सही आकार,
गुरू ही है सफल जीवन का आधार।
आदर्शों की मिसाल बनकर,
बाल जीवन संवारता शिक्षक,
सदाबहार फूल सा खिलकर,
महकता और महकाता शिक्षक,
नित नए प्रेरक आयाम लेकर,
हर पल भव्य बनाता शिक्षक,
संचित धन का ज्ञान हमें देकर,
खुशियाँ खूब मनाता शिक्षक।
की प्राप्त कर सकूँ मैं अपने लक्ष्य,
दिया है आपने मुझे हर समय इतना सहारा,
जब भी लगा मुझे की अब मैं हारू।
रोशनी बनकर आए जो हमारी जिंदगी में,
ऐसे गुरूओं को में प्रणाम करता हूँ,
जमीन से आसमान तक पहुँचाने का रखते है जो हुनर,
ऐसे टीचर्स को मैं दिल से सलाम करता हूँ।
तुमने सिखाया ऊंगली पकड़ कर चलना ,
तुमने सिखाया कैसे गिरने के बाद संभालना ,
तुम्हारी वजह से आज हम पहुंचे हैं इस मुकाम पे।
मां-बाप और उस्ताद सब हैं खुदा की रहमत
है रोक-टोक उन की हक में तुम्हारे नेमत
कितनी मेहनत से पढ़ाते हैं हमारे उस्ताद
हम को हर इल्म सिखाते हैं हमारे उस्ताद
तोड़ देते हैं जहालत के अंधेरों का तिलिस्म
इल्म की शमआ जलाते हैं हमारे उस्ताद
"गुमनामी के अंधेरे में था
पहचान बना दिया
दुनिया के गम से मुझे
अनजान बना दिया
उनकी ऐसी कृपा हुई
गुरू ने मुझे एक अच्छा
इंसान बना दिया"
जल जाता है वो दिए की तरह,
कई जीवन रोशन कर जाता है।
कुछ इसी तरह से हर गुरु,
अपना फर्ज निभाता है।
अज्ञान को मिटा कर,
ज्ञान का दीपक जलाया है।
गुरु कृपा से मैंने,
ये अनमोल शिक्षा पाया है।