लाइव टीवी

पति ने पूरी की पत्नी की अंतिम इच्छा, 7 लाख के गहने बेचकर राम मंदिर निर्माण के लिए किया दान

Updated Feb 16, 2021 | 16:23 IST

राम ​मंदिर निर्माण के लिए दान देने का अनूठा मामला राजस्थान के जोधपुर से सामने आया है जहां एक महिला की मौत के बाद उसके लाखों के गहने बेचकर इकट्ठा करीब 7 लाख रूपये मंदिर को दान किए गए हैं, ये उनकी आखिरी इच्छा थी।

Loading ...
देशभर में समर्पण निधि अभियान चल रहा है और राम मंदिर निर्माण के लिए लोग अपनी इच्छानुसार धनराशि भेंट कर रहे हैं

अयोध्या में भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर निर्माण के लिए जोरों शोरों से तैयारियां चल रही हैं और जनमानस भी इसमें बढ़चढ़कर भाग ले रहा है, राम में ही आस्था, राम में ही विश्वास...भगवान राम के अनेकों भक्त हैं वहीं राजस्थान के जोधपुर की रहने वालीं आशा कंवर नाम की एक महिला अयोध्या में भगवान राम मंदिर बनते देखना चाहती थीं, हालांकि उनके जीते जी ये न हो सका क्योंकि लंबी बीमारी के बाद उनका निधन हो गया, आशा ने मरने के बाद भी अपने 7 लाख के गहने मंदिर निर्माण के लिए दान में दिए हैं, उनके इस कदम की खासी चर्चा हो रही है।

गौरतलब है कि राम मंदिर निर्माण (Ram Mandir) के लिए देशभर में समर्पण निधि अभियान चल रहा है और राम मंदिर निर्माण के लिए लोग अपनी इच्छानुसार धनराशि भेंट कर रहे हैं, जोधपुर की इस महिला की अंतिम इच्छा थी भगवान राम के मंदिर के लिए दान किया जाए, जीते जी तो उसकी ये इच्छा पूरी नहीं हुई लेकिन आंखें मूंदने के बाद उसकी अंतिम इच्छा को उसके पति और घरवालों ने पूरा किया।

'समर्पण निधि' जुटाने वाले जोधपुर के दल को जानकारी दी

जोधपुर की रहने वाली आशा कंवर का हाल ही में 54 साल की उम्र में बीमारी के कारण निधन हो गया था अपनी बीमारी दौरान आशा कंवर ने अपने पति और बेटे के सामने अपनी अंतिम इच्छा जाहिर की थी जिसे उनके पति और उनके बेटे ने स्वीकार कर लिया। समर्पण निधि राशि जुटाने वाले जोधपुर के दल को जानकारी दी वहीं इस बीच 4 फरवरी को आशा कंवर की मौत हो गई। मौत के बाद ​समर्पण निधि राशि जुटाने वाले जोधपुर के दल को जानकारी दी और श्रीराम मंदिर के लिए पत्नी के गहने सौंपने की इच्छा जाहिर की।

परिजनों ने बताया कि आशा कंवर की इच्छानुसार उनके गहनों को बेचने के बाद करीब सात लाख आठ हजार रुपये आये हैं, परिजनों ने वो राशि समर्पण निधि के सदस्यों को सौंप दी, इस दौरान टीम के सदस्य भावुक हो गये और उन्होंने आशा कंवर की इस इच्छा को श्रीराम की अनूठी भक्ति बताते हुए इसे एक मिसाल बताया है।