- असम के जतिंगा घाटी में हर साल हजारों पक्षी सुसाइड करते हैं
- साल 1901 से घट रही है इस तरह की घटना
- अब तक नहीं सुलझ सकी इसकी गुत्थी
ये दुनिया रहस्यमयी चीजों से भरी हुई है। समय-समय पर कुछ की गुत्थी सुलझ जाती है, जबकि कुछ मामलों की गुत्थी आज तक नहीं सुलझ सकी। आज हम आपको एक ऐसे ही मामले से रू-ब-रू कराने जा रहे हैं, जिसके बारे में जानकर आपको झटका तो जरूर लगेगा साथ ही मन में तरह-तरह के सवाल भी उठेंगे? क्योंकि, आज तक यह लोगों के लिए पहेली बनी हुई है कि आखिर हर साल इस जगह पर आकर हजारों पक्षी सुसाइड क्यों करते हैं? तो चलिए, ज्यादा इंतजार ना करवाते हुए आपको सच्चाई से अवगत कराते हैं...
पूर्वोत्तर के सबसे बड़े राज्य असम की कई सारी खासियतें हैं। लेकिन, इस राज्य की कई बातें काफी रहस्यमय भी हैं। इस राज्य में एक ऐसी जगह है, जहां हर साल हजारों पक्षी खुदकुशी कर लेते हैं। रिपोर्ट के अनुसार, दिमा हासो जिले की पहाड़ी में स्थित जतिंगा घाटी पक्षियों का सुसाइड प्वाइंट के रूप में काफी फेमस है। हर साल सितंबर महीने में जतिंगा गांव पक्षियों की आत्महत्या के कारण सुर्खियों में आ जाता है। आपको जानकर हैरानी होगी कि यहां ना केवल स्थानीय पक्षी बल्कि प्रवासी पक्षी भी आकर सुसाइड करते हैं। जिसके कारण यह गांव काफी रहस्यमय माना जाता है।
आज तक नहीं सुलझ सकी गुत्थी
आमतौर पर आपने आत्महत्या करने की प्रवृत्ति इंसानों में देखी होगी। लेकिन, पक्षियों के बारे में ये बात सुनकर और जानकर लोगों को काफी हैरानी होती है। ऐसा नहीं है कि पक्षी जहर खाते हैं और आग में खुद को जलाते हैं। बल्कि, सुसाइड करने का तरीका भी काफी अलग है। इस गांव में पक्षी तेजी से उड़ते हुए किसी बिल्डिंग या पेड़ से टकरा जाते हैं, जिससे उनकी मौत हो जाती है। अगर एक-दो पक्षी के साथ ऐसा हो तो मामला अलग हो जाता है। लेकिन, हजारों पक्षियों के साथ इस तरह की घटना लोगों में कौतूहल पैदा कर देती है। कुछ रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि ये घटनाएं शाम सात बजे से लेकर रात 10 बजे के बीच घटती है। इस गांव के लोग इस घटना के पीछे रहस्यमय ताकत का हाथ मानते हैं। वहीं, पक्षी विशेषज्ञों का कहना है कि चुंबकीय ताकत के कारण इस तरह की घटनाएं घटती है। लेकिन, अब तक इसकी गुत्थी नहीं सुलझ सकी है। कहने के लिए यह भी कहा जाता है कि इस तरह की घटना 1901 से चली आ रही, लेकिन बाहरी दुनिया को इसके बारे में 1957 में जानकारी मिली। इस घटना पर कई रिसर्च भी हुए लेकिन कोई समाधान नहीं निकला।