नई दिल्ली: जीवन में कभी सोचा भी नहीं था कि एक अदृश्य शत्रु ऐसा भी होगा जो इन्सानों को घुटनों पर टिका देगा। 2020 से ही प्रारम्भ हुआ कोरोना का यह दौर अभी कब तक चलेगा और अभी कितने घाव और देगा , नहीं पता । फिर भी उम्मीद का दामन थामकर आगे बढ़ जाना इन्सान की फितरत है। याद नहीं आता कि बचपन में कब हाथ धोते थे – कोई देख ले तो भले हाथ धो लें वरना तो कपड़ों से ही हाथ पोंछ कर हाथ धो लिए- ये मान लेते थे और एक आज का दौर है , सेनेटाईजर से जब तक हाथ पर ना लगा लें , तब तक अनजान सा ड़र बैठा ही रहता है।
2020 में लॉकडाउन ने पहली बार उस इन्सान को जो चाँद पर भी बस्ती बनाने का ख्वाब देखता है, उसको भी जानवरों की तरह पिंजड़ों में बन्द कर दिया। खैर जैसे - तैसे करके जीवन की रेल पटरी पर आई ही थी कि इस साल तो कोरोना चारों तरफ खौफ़नाक मन्जर फैला कर दहशत मचा रहा था। पहली बार इन्सान को इतना लाचार देखा। पहली बार इन्सान को जीवन दायिनी ऑक्सीजन की कीमत समझ आई, लेकिन उससे मिले सबक को शायद हमने फिर से भुला दिया है ऑक्सीजन सिलेंड़र की कमी के समय कई लोगों ने प्रतिज्ञा की थी कि कोरोना के जाते ही खूब पेड़ लगायेंगे लेकिन ऐसा होते हुए कुछ दिखा नहीं। कोरोना एक प्राकृतिक वायरस है या कोई कृत्रिम वायरस , ये बहस अब बेमानी है, सच्चाई तो ये है कि अभी कुछ सालों तक तो ये नहीं जाने वाला। अब ये अलग – अलग नाम व रूप बदल कर आता ही रहेगा, अब हमें इसी के साथ जीने की आदत ड़ालनी होगी।
ये साल हमें कुछ सबक देकर गया है
पहला अभी आगे आने वाले सालों में भी इस से जूझना पड़ेगा , इसलिए अब इस से लड़ने की सभी आवश्यक बातों पर ना केवल ध्यान देना होगा , बल्कि उन पर अमल भी करना होगा। टीकाकरण के साथ -साथ सबसे ज्यादा ध्यान अपनी इम्यूनिटी पॉवर को बढ़ाने पर देना होगा। सच तो ये है कि सामान्य परिस्थितियों में हमारे आस- पास अनगिनत वायरस व जीवाणु तो रहते ही रहते हैं। अब यदि हमारी प्रतिरोधक क्षमता कम होगी तो हम उनकी चपेट में आसानी से आ जायेंगे। इसलिए कोरोना को लेकर बहुत अधिक भयग्रस्त नहीं होना है। जब हम बहुत अधिक भयग्रस्त हो जाते हैं तो हमारे अन्दर की संघर्ष करने की क्षमता पर बेहद नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसलिए घबराना तो बिल्कुल भी नहीं है। दूसरी वेव में कई ऐसे भी उदाहरण आप सभी ने देखे हैं कि कुछ मरीजों को डॉक्टरों ने कह दिया कि आप अपने मरीज को ले जाओ, अब ये नहीं बच सकते लेकिन उन्होंने अपनी मजबूत इच्छा- शक्ति के दम पर बीमारी की अन्तिम व चरम अवस्था में भी विजय पाई। सारा खेल मजबूत इच्छा – शक्ति व मजबूत प्रतिरोधक क्षमता का है।
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इस पर सबको करना चाहिए विचार
दूसरा सबक कि अपने आय के साधन बढ़ाईये और ये तब होगा जब अपनी प्रतिभा व क्षमता का विस्तार करें। मतलब सीधा सा है कि केवल एक ही क्षेत्र में हुनर से काम नहीं चलेग। अब एक से अधिक क्षेत्रों में अपनी प्रतिभा, ज्ञान व हुनर का विस्तार कीजिए ताकि किसी भी प्रकार के प्रतिबन्ध या आपदा के समय यदि एक जगह से आय पर प्रभाव पड़े तो किसी दूसरे साधन से आय हो। कोई ना कोई वैकल्पिक व्यवस्था भी देखते रहिए । कोरोना ने कुछ व्यवसायों को तो बहुत ही ज्यादा नुकसान पहुँचाया है जैसे होटल, मनोरंजन से जुड़े व्यवसाय, शादी- विवाह व अन्य आयोजनों से जुड़े व्यवसाय तो बिल्कुल ही धराशायी हो गए। लेकिन जैसे ही स्थिति थोड़ी सी अनुकूल हुई, इन सभी ने फिर से खड़े होने में देर नहीं की लेकिन जिस तरह से इस बार कोरोना नए रूप ओमिक्रॉन के रूप में प्रकट होकर सारी दुनिया में अभी से हाहाकार मचाए हुए है , उसे देखकर नहीं लगता कि अभी सब कुछ सामान्य हो जाएगा।
जरूर अपनाएं ये उपाय
इसलिए कुछ उपाय जरूर करिए। पहला, अपने आस- पास के लोगों, मित्रों और रिश्तेदारों के ब्लड- ग्रुप अवश्य नोट करके रखिए। दूसरा- अपने आस- पास के हॉस्पीटलों, डॉक्टरों, और एम्बुलेंस आदि के नम्बर नोट करके रखिए। तीसरा- व्यायाम- प्राणायाम द्वारा अपनी रोग- प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाईये। किसी भी कीमत पर प्राणायाम व व्यायाम को मत छोड़िए । चौथा- अन्यावश्यक बाहर घूमना व बाहर का खाना बन्द कर दीजिए। पाँचवां – घर में तुलसी, ऐलोवेरा आदि यथासम्भव अवश्य उगाईये। तुलसी आस- पास के वातावरण को जीवाणु व विषाणु मुक्त रखने में मदद करती है। छठा- बचत करने की आदत डालिए। अपनी आय का कुछ हिस्सा अवश्य बचा कर रखिए। बुरे वक्त में यही पैसा सबसे अधिक काम आता है। सातवाँ – जितना अधिक प्रसन्न रहने की कोशिश करेंगे, उतना ही किसी भी विषम परिस्थिति से लड़ने में खुद को सक्षम बना पायेंगे। इसलिए कितने भी मुश्किल हालात क्यों ना हों, शान्त और प्रसन्नचित्त होकर समाधान सोचिए । एक- दूसरे की भरपूर मदद कीजिए ।
आईये संकल्प लेते हैं कि हम स्वयं को तो आशा से भरेंगे ही , उसके साथ- साथ सभी को आशा और उत्साह से सरोबार रखेंगे ताकि किसी भी असामान्य परिस्थिति में भी जीत सकें । एक दूसरे का हाथ थाम लीजिए ताकि किसी का भी हाथ छूटे नहीं और इस धरा को फिर से सुन्दर और खुशहाल बनाया जा सके।
( लेखक- डॉ. श्याम ‘अनन्त’ राज्य वस्तु एवं सेवा कर विभाग में सहायक आयुक्त के पद पर कार्यरत हैं और एक प्रसिद्ध कवि व मोटीवेशनल स्पीकर भी हैं )