- Zomato ने कहा कि वह महिला कर्मचारियों को 10 दिन का ‘माहवारी अवकाश’ देगी
- जोमेटो में सभी महिलाएं (ट्रांसजेंडर लोगों सहित) एक साल में 10 दिन तक का मासिक-धर्म अवकाश ले सकती हैं
- सोशल मीडिया पर Zomato कंपनी की इस पहल को खासा सराहा जा रहा है
नयी दिल्ली: ऑनलाइन फूड डिलीवरी सेवाएं देने वाली कंपनी जोमेटो (Zomato) ने कहा कि वह महिला कर्मचारियों को 10 दिन का ‘माहवारी अवकाश’ (menstrual holiday) देगी। कंपनी ने कहा कि इसका उद्देश्य संगठन में अधिक समावेशी कार्य संस्कृति बनाना है।जोमेटो के संस्थापक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) दीपिंदर गोयल ने एक ब्लॉग पोस्ट में कहा, 'जोमेटो में हम विश्वास, सच्चाई और स्वीकृति की संस्कृति को बढ़ावा देना चाहते हैं। आज से, जोमेटो में सभी महिलाएं (ट्रांसजेंडर लोगों सहित) (Transgender)एक साल में 10 दिन तक का मासिक-धर्म अवकाश ले सकती हैं।'
उन्होंने कहा कि इस अवकाश के लिये आवेदन करने को लेकर कोई शर्म या कलंक वाली बात नहीं होनी चाहिये। उन्होंने कहा पुरुष कर्मचारियों को भी हिदायत दी गयी है कि किसी महिला कर्मचारी को ये अवकाश लेने में असहज महसूस नहीं होना चाहिए।कंपनी ने इस नियम को पीरियड पॉलिसी का नाम दिया है। जोमैटो के सीईओ दीपिंदर गोयल ने अपने कर्मचारियों के नाम एक ईमेल भेजा है।
इसमें कहा गया है कि पीरियड की अवधि की छुट्टी को किसी भी शर्म या कलंक के साथ जोड़ कर न देखें और इस दौरान कर्मचारी छुट्टी लेने के लिए पूरी तरह स्वतंत्र हैं। जोमैटो के सीईओ ने कहा कि जोमैटो में हम विश्वास, सच्चाई और स्वीकृति की संस्कृति को बढावा देना चाहते हैं। आज से जोमैटो में सभी महिलाएं साथ ही ट्रांसजेंडर एम्प्लॉयज 10 दिनों की अवधि के अवकाश का लाभ उठा सकती हैं।
सोशल मीडिया पर कंपनी की इस पहल को खासा सराहा जा रहा है, कंपनी ने कहा है कि भारत में लाखों महिलाओं और लड़कियों में आज भी मासिक धर्म के बारे में जागरूकता की कमी है।
भारत में यह लंबे समय से बहस का मुद्दा रहा है
मुंबई की एक मीडिया कंपनी व कोच्चि के मीडिया समूह 'मातृभूमि' ने महिला कर्मचारियों को उनकी माहवारी के पहले दिन पेड लीव देने की घोषणा की थी इसके बाद पूरे देश में 'माहवारी छुट्टी' लागू करने का मुद्दा छिड़ा था। लेकिन कई लोगों व संस्थाओं ने इसका विरोध भी किया। माहवारी में छु्ट्टी जापान, दक्षिण कोरिया, ताइवान और इटली में पहले से इन दिनों में पेड लीव का नियम है इटली पहला यूरोपीय देश है, जहां इस तरह का फैसला लिया गया है, माहवारी एक प्राकृतिक प्रक्रिया है। महीने के ये मुश्किल भरे चार से पांच दिन महिलाओं के लिए शारीरिक एवं मानसिक रूप से थका देने वाले होते हैं, इसके लिए ही लीव की मांग की जा रही है।