- वर्ष 2019 का आखिरी सूर्य ग्रहण 26 दिसंबर सुबह 8 बजकर 17 मिनट से 10 बजकर 57 मिनट तक लगा
- भारत समेत सऊदी अरब, कतर, संयुक्त अरब अमीरात, ओमान, भारत, श्रीलंका, मलेशिया, इंडोनेशिया, सिंगापुर, उत्तरी मारियाना द्वीप और गुआम में देखा गया
- पीएम मोदी ने लाइव स्ट्रीम पर सूर्य ग्रहण देखा, कहा- इस विषय पर मेरा ज्ञान समृद्ध हुआ
नई दिल्ली : वर्ष 2019 का आखिरी सूर्य ग्रहण आज यानी 26 दिसंबर सुबह 8 बजकर 17 मिनट पर लगा। जो 10 बजकर 57 मिनट पर खत्म हुआ। इस सूर्य ग्रहण को भारत के अलावा सऊदी अरब, कतर, संयुक्त अरब अमीरात, ओमान, भारत, श्रीलंका, मलेशिया, इंडोनेशिया, सिंगापुर, उत्तरी मारियाना द्वीप और गुआम में देखा गया। भारत में नई दिल्ली, पुणे, जयपुर, लखनऊ, कानपुर, नागपुर, इंदौर, कोलकाता, चेन्नई, अहमदाबाद, सूरत भोपाल, विशाखापत्तनम, लुधियाना, हरिद्वार, आगरा और कोच्चि के भी लोगों ने देखा। इस खगोलीय नजारे को पीएम मोदी ने भी देखा जैसा कि तस्वीरें सामने आई हैं।
पीएम मोदी ने ट्वीट किया, "कई भारतीयों की तरह, मैं सूर्य ग्रहण के बारे में उत्साहित था। दुर्भाग्य से, मैं बादल कवर के कारण सूर्य को नहीं देख सका लेकिन मैंने कोझीकोड और अन्य हिस्सों में लाइव स्ट्रीम पर ग्रहण की झलकें देखीं। साथ ही इस विषय पर विशेषज्ञों के साथ बातचीत करके अपने ज्ञान को समृद्ध किया।
सूर्य ग्रहण देखने वाले बरतें सावधानी
खगोल विज्ञानिकों ने कहना है सूर्य ग्रहण देखने वाले लोगों को सावधानी बरतनी चाहिए और उन्हें सुरक्षित उपकरणों तथा उचित तकनीकों का उपयोग करना चाहिए क्योंकि सूर्य की अवरक्त और पराबैंगनी किरणें आंखों को गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त कर सकती हैं। एम. पी. बिड़ला प्लेनेटोरियम के निदेशक देवी प्रसाद दुआरी ने कहा कि किसी व्यक्ति को उचित सुरक्षा के बिना थोड़ी देर के लिए भी सीधे सूर्य की ओर नहीं देखना चाहिए। यहां तक कि जब सूर्य का 99 प्रतिशत हिस्सा आंशिक ग्रहण के दौरान चंद्रमा द्वारा ढक लिया जाता है, तब भी शेष प्रकाश आंखों को नुकसान पहुंचा सकता है।
उन्होंने कहा कि विकिरण से बचाव में सक्षम ऑप्टिकल घनत्व वाले सौर फिल्टर आंखों के लिए सुरक्षित हैं और उनका उपयोग देखने के लिए करना चाहिए। नग्न आंखों से ग्रहण को नहीं देखना चाहिए। उन्होंने कहा कि वेल्डर ग्लास संख्या 14 सौर फिल्टर के रूप में एक सुरक्षित सामग्री है। उनके अनुसार, सूर्य ग्रहण देखने की सबसे अच्छी विधि उपयुक्त सतह पर दूरबीन या पिनहोल कैमरा का उपयोग है।
दुआरी के मुताबिक सूर्य ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा का व्यास सूर्य से छोटा होता है और सूर्य के अधिकांश प्रकाश को ढक लेता है। इसके कारण सूर्य आग की रिंग के समान दिखाई देता है।