- सोशल मीडिया पर दुनिया के खत्म होने के दावे किए जा रहे
- बेहद पुराने माया कैलेंडर के आधार पर किया जा रहा ये दावा
- अमेरिकी एजेंसी ने दावे को सिरे से किया खारिज
साल 2020 दुनिया के लिए काफी मुश्किलों भरा साबित हो रहा है। एक ऐसी महामारी जिसकी कभी किसी ने कल्पना नहीं की होगी उसने दुनियाभर में अपना कहर मचा रखा है। कोरोना वायरस के चलते अब तक लाखों लोगों की जान चली गई है। कोरोना फैलने के बाद से दुनिया का नक्शा ही बदल गया है। इसके अलावा भूकंप, चक्रवात जैसी प्राकृतिक आपदाओं ने भी लोगों को खूब दर्द दिए हैं।
अब इसी बीच एक नया दावा सामने आ रहा है जो बेहद चौंकाने वाला है। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक नए दावे के मुताबिक जल्द ही दुनिया खत्म होने वाली है। कहा जा रहा है कि 21 जून 2020 को दुनिया का आखिरी दिन होगा। ये दावे माया कैलेंडर पर आधारित बताया जा रहा है। यह हजारों साल पुराना कैलेंडर है जो साउथ अमेरिका में इस्तेमाल किया जाता था।
21 जून को खत्म होगी दुनिया!
इस थ्योरी के मुताबिक कहा जा रहा है कि दुनिया टेक्नीकली तौर पर 2012 में है ना कि 2020 में। इस दावे के अनुसार 21 जून 2020 को वास्तव में 21 दिसंबर 2012 होगा और 2012 में जो दुनिया खत्म होने वाली थी वह अब 2020 में खत्म होगी।
माया सभ्यता 4,000 साल पहले धरती पर शुरू हुई थी। इस दौरान साउथ अमेरिका में कई बड़े-बड़े विशालकाय पिरामिड का निर्माण किया गया। आज भी दुनिया के कुछ देशों में माया कैलेंडर को फॉलो किया जाता है। ये देश हैं ग्वाटेमाला, मैक्सिको, बेलिज, होंडुरा, अल सल्वाडोर। माया एक बेहद जटिल प्रकार का कैलेंडर है। इसके तहत चंद्रमा का मासिक चक्र होता है और सूरज का वार्षिक चक्र होता है।
ये चक्र 13 दिनों का, 20 दिनों का, 260 दिनों का हो सकता है। ये सभी 20 और 13 नंबर पर आधारित होते हैं। 13 बार 20 दिनों को काउंट करने के बाद 260 दिन होता है। ये नौवां महीना होता है जो मनुष्यों में गर्भ की अवधि माना जाता है। माया दुनियाभर में सभी कैलेंडरों में सबसे जटिल कैलेंडर है। माया एक्सप्लोरेशन सेंटर के डायरेक्टर एड बर्नहार्ट ने हिस्ट्री चैनल को ये बताया था। उन्होंने कहा कि माया एक सिल्वर कैलेंडर था। उन्होंने लूनर कैलेंडर बनाया था, उन्होंने बृहस्पति के लिए कैलेंडर बनाया था।
नासा ने किया खारिज
अमेरिकी स्पेस व साइंस एजेंसी नासा ने इन सभी दावों को झूठा बताते हुए सिरे से खारिज किया है। नासा ने कहा है कि ये सभी मनगढ़ंत दावे हैं अगर ऐसा कुछ होता तो इसके कुछ भी सबूत क्यों नहीं हमारे सामने हैं। इसमें कोई दम नहीं है।