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Mahila Diwas: 'रौनकें जितनी यहां हैं औरतों के दम से हैं..' महिलाओं के सम्मान में लिखी कुछ प्रसिद्ध शायरियां

Updated Mar 08, 2021 | 07:33 IST

International Women's Day: महिला दिवस के अवसर पर यहां हम कुछ ऐसी शायरी प्रस्तुत कर रहे हैं जिनसे समाज में महिलाओं के महत्व का पता चलता है।

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Mahila Diwas: महिलाओं के सम्मान में लिखी कुछ प्रसिद्ध शायरी

नई दिल्ली: आज दुनियाभर में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जा रहा है। यह एक ऐसा दिन है जो महिलाओं को समाज में उनके योगदान को याद करने और सम्मान देने के लिए मनाया हैं। बीते कई दशकों से महिलाओं ने पुरुष प्रधान मान्यताओं को चुनौती देते हुए कई मिथकों को तोड़ा और दुनिया के सामने नए उदाहरण पेश किए हैं। यहां हम आपके सामने कुछ ऐसे शायरी प्रस्तुत कर रहे हैं जिनसे महिलाओं के प्रति सम्मान के महत्व का पता चलता है। तो पेश हैं आपके सामने कुछ मशहूर शायरों की शायरियां-

बेटी-बहु कभी माँ बनकर,
सबके ही सुख-दुःख को सहकर,
अपने सब फर्ज निभाती है,
तभी तो नारी कहलाती हैं।


शहर का तब्दील होना शाद रहना और उदास ,
रौनके़ं जितनी यहां हैं औरतों के दम से हैं।  (मुनीर नियाज़ी)

घर को स्वर्ग बनाती नारी,
घर की इज्जत होती नारी,
देव भी करते जिसकी पूजा,
ऐसी प्यारी मूरत है नारी।

कौन बदन से आगे देखे औरत को 
सबकी आँखें गिरवी हैं इस नगरी में (हमीदा शाहीन)

अपमान मत करना नारी का,
इनके बल पर जग चलता है,
पुरुष जन्म लेकर
नारी की गोद मे ही पलता है…

बेटियाँ बाप की आँखों में छुपे ख़्वाब को पहचानती हैं, 
और कोई दूसरा इस ख़्वाब को पढ़ ले तो बुरा मानती हैं।  (इफ़्तिख़ार आरिफ़)

अभी रौशन हुआ जाता है रास्ता,
वो देखो एक औरत आ रही है। (शकील जमाली)

कहा जाता है कि महिलाएं घर की लक्ष्मी होती हैं और बिना बेटी के घर पूरा नहीं होता है। इन सबके बावजूद भी आज भी महिलाओं को लेकर कई तरह की चुनौतियां सामने हैं, एक तरफ महिलाओं को लेकर बड़ी- बड़ी बातें की जाती हैं दूसरी तरफ शायद ही कोई ऐसा दिन होता होगा जब महिलाओं के खिलाफ अत्याचार की खबरें अखबारों की सुर्खियां नहीं बनती होंगीं। महिलाओं के बिना मनुष्य जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती। शुरूआत हमें करनी होगी और अगर हम अपने घर से औरत की इज्जत करना शुरू करेंगे तो तभी हम एक बेहतर समाज की कल्पना कर सकते हैं।