- एमसीएलआर का सीधा कनेक्शन लोन से है।
- एमसीएलआर के बढ़ने से लोन महंगा होता है।
- ऐसे में आपको पहले से ज्यादा ईएमआई का भुगतान करना होता है।
नई दिल्ली। सरकारी सेक्टर के देश के सबसे बड़े बैंक, भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने लोन ग्राहकों को झटका दिया है। एसबीआई ने मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड बेस्ड लेंडिंग रेट (MCLR) में बढ़ोतरी कर दी है। इसे 10 बेसिस पॉइंट यानी 0.10 फीसदी बढ़ाया गया है। लोन के लिए नई दर आज यानी 15 जुलाई 2022 से लागू हो गई हैं। भारतीय स्टेट बैंक की वेबसाइट के अनुसार, एक साल की अवधि के लिए नया एमसीएलआर अब पहले के 7.40 फीसदी से बढ़कर 7.50 फीसदी हो गया है।
छह महीने की अवधि के लिए नई एमसीएलआर दर अब 7.35 फीसदी से 1.10 फीसदी बढ़कर 7.45 फीसदी हो गई है। वहीं दो साल की अवधि के लिए, नया एमसीएलआर 7.60 फीसदी से 7.70 फीसदी हो गया है। तीन साल की अवधि के लिए इसे 7.7 फीसदी से बढ़ाकर 7.8 फीसदी कर दिया गया है।
कई बैंकों ने महंगा किया कर्ज, लेकिन इस बैंक ने की ब्याज दर में कटौती
MCLR बढ़ोतरी का कर्जदारों पर क्या होगा असर?
मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड बेस्ड लेंडिंग रेट के बढ़ने से कार लोन, होम लोन और पर्सनल लोन की मासिक किस्तों में वृद्धि होगी। उधारकर्ता के CIBIL स्कोर के आधार पर, एसबीआई होम लोन पर 7.55 फीसदी ऊपर की ओर शुल्क लेता है। एसबीआई कार लोन की ब्याज दर 7.45 फीसदी से 8.15 फीसदी तक है।
क्या है एमसीएलआर? (What is MCLR)
मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड बेस्ड लेंडिंग रेट न्यूनतम उधारी दर होती है, जिसके नीचे बैंकों को उधार देने की अनुमति नहीं है। मांग के आधार पर बैंक हर महीने एमसीएलआर में संशोधन करते हैं। हाल ही में कई बैंकों ने एमसीएलआर में बढ़ोतरी की थी। इनमें बैंक ऑफ बड़ौदा, इंडियन ओवीसीज बैंक और एचडीएफसी बैंक शामिल हैं।
बढ़ी हुई रेपो रेट के बीच क्या आपको होम लोन के लिए फिक्स्ड ब्याज दर चुनना चाहिए?