- उत्तर प्रदेश का पहला मंदिर होगा, जो कार्बन एवं धूल-कण से मुक्त होगा
- धाम वाले इलाके में 12 जगहों पर लगाए जाएंगे एयर प्यूरीफायर
- काशी विश्वनाथ धाम में पीएम 2.5 और पीएम 10 के साथ कार्बन की मात्रा में अप्रत्याशित बढ़ोतरी हुई है
Carbon Free Zone Varanasi: बाबा विश्वनाथ धाम के आसपास पीएम 2.5 और पीएम 10 एवं कार्बन की मात्रा हाल के दिनों में काफी अधिक बढ़ी है। इसका कारण है मणिकर्णिका घाट पर शवों का जलना। इसके अतिरिक्त कई निर्माण कार्यों की वजह से भी वायु प्रदूषण बढ़ा है। ऐसे में अब काशी विश्वनाथ धाम क्षेत्र को कार्बन मुक्त बनाया जाएगा। इसके लिए धाम वाले इलाके में एयर प्यूरीफायर लगाए जाएंगे। मंदिर प्रशासन ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है।
सीएसआर फंड के जरिए धाम वाले इलाके में 12 जगहों पर एयर प्यूरीफायर लगाए जाएंगे। इसके लिए सर्वे का काम शुरू होगा। सर्वे पूरा होने के बाद चिह्नित जगहों पर एयर प्यूरीफायर लगा दिए जाएंगे।
ट्रायल के तौर पर पहले भी लगा था एयर प्यूरीफायर
काशी विश्वनाथ धाम को बनाने के समय पुरानी बिल्डिंग को तोड़े जाने से हो रहे प्रदूषण को देखते हुए एयर प्यूरीफायर लगाया गया था। मंदिर एवं जिला प्रशासन ने एक निजी कंपनी के सहयोग से ट्रायल के रूप में एयर प्यूरीफायर लगवाया था। ताकि मंदिर के आसपास की आबोहवा शुद्ध हो। मंदिर क्षेत्र में लगाई गई मशीन से पांच किलोमीटर के दायरे में धूल-कण सोख लिया जाता था।
इस टेक्नोलॉजी पर आधारित होगा एयर प्यूरीफायर
मंदिर क्षेत्र में लगने वाले एयर प्यूरीफायर हेपा टेक्नोलॉजी यानी हाई इफीशिएंसी पार्टिकुलेट एयर तकनीक पर आधारित होगी। यह तकनीक कई वर्षों से हवा को शुद्ध करने के लिए इस्तेमाल हो रही है। हेपा फिल्टर 0.3 माइक्रोन से बड़े 99.97 से अधिक कणों को कैद करने में सक्षम है। मोल्ड और बैक्टीरिया को पकड़ने की वजह से यह फिल्टर अधिक स्वच्छ वातावरण बनाता है।
काम हो चुका है शुरू
इस बारे में मंडलायुक्त दीपक अग्रवाल का कहना है कि काशी विश्वनाथ धाम को पूरी तरह से कार्बन मुक्त बनाने की दिशा में काम शुरू हो चुका है। सीएसआर फंड के तहत 12 जगहों पर एयर प्यूरीफायर लगाए जाएंगे। इसके लिए जल्द सर्वे शुरू कराया जाएगा।