- लॉकडाउन के कारण बनारस के 40 स्कूल नहीं कर पाए स्थाई मान्यता के लिए आवेदन
- अस्थाई मान्यता मिलने के एक साल बाद ले सकते हैं स्थाई मान्यता
- इसके लिए अगल से करना होता है आवेदन
वाराणसी: कोरोना वायरस की वजह से उपजे लॉकडाउन का असर पूरी दुनिया के लोगों पर पड़ा है। ऐसे में 24 मार्च को भारत सरकार द्वारा लागू किए गए लॉकडाउन की वजह से पूरे देश में सरकारी, निजी दफ्तरों और कल कारखानों को बंद करना पड़ा। ऐसे में हर वर्ग के लोगों को अलग अलग तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लोकसभा क्षेत्र वाराणसी में कुछ स्कूलों पर लॉकडाउन की गाज गिरी है। जिसके कारण सैकड़ों बच्चों का भविष्य अधर में अटक गया है। जनपद के तकरीबन 40 स्कूलों की अस्थाई मान्यता कोरोना वायरस के कारण समाप्त हो गई है। 31 मार्च तक इन स्कूलों को बेसिक शिक्षा परिषद से स्थाई मान्यता के लिए आवेदन करना था लेकिन लॉकडाउन के कारण वो ऐसा नहीं कर सके और 21 दिन के पहले लॉकडाउन के दौरान ही इनकी मान्यता समाप्त हो गई।
बेसिक शिक्षा विभाग ने इन सभी स्कूलों को प्राइमरी व जूनियर कक्षाओं के संचालन के लिए 3 वर्ष के लिए अस्थायी मान्यता प्रदान की थी। लेकिन 31 मार्च को तीन वर्ष की अवधि समाप्त हो जाने के बाद भी इन विद्यालयों के मैनेजमेंट ने अब तक नवीनीकरण के लिए आवेदन नहीं किया है।
1 अप्रैल से राज्य में शिक्षा का नया सत्र शुरू हो चुका है। ऐसे में मान्यता के नवीनीकरण के बगैर ही नए सत्र के लिए बच्चों का दाखिले की प्रक्रिया शुरू कर दी थी। ऐसे में मान्यता को रिन्यू कराने की चिंता स्कूलों को सता रही है। वहीं सैकड़ों बच्चों के भविष्य पर फिलहाल अंधकार दिखाई दे रहा है।
तीन साल के लिए मिलती है शुरुआती मान्यता
बेसिक शिक्षा विभाग नए विद्यालयों को पहले दो या तीन वर्ष के लिए अस्थायी मान्यता प्रदान करता है। इस अवधि के पूर्ण होने के बाद विद्यालयों को स्थायी मान्यता के लिए आवेदन करना होता है। लॉकडाउन के चलते ऐसे विद्यालय नवीनीकरण के लिए आवेदन नहीं दे सके। हालांकि अब लॉकडाउन में छूट मिलने के बाद स्कूलों ने संबंधित विभाग के चक्कर काटने शुरू कर दिए हैं। आवेदन में देरी के लिए कोरोना लॉकडाउन का जिक्र स्कूल प्रबंधन कर रहे हैं। ऐसे में आवेदन स्वीकार किए जा रहे हैं और आगे की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।