- 4 दिन में छाती रोग पर 16 वर्कशॉप
- 130 से ज्यादा शोधपत्र पढ़े जाएंगे
- आयोजन 31 मार्च से 3 अप्रैल तक
Varanasi NAPCON Workshop : उत्तर प्रदेश के वाराणसी में इंडियन चेस्ट सोसाइटी और नेशनल कॉलेज ऑफ चेस्ट फिजिशियन के तत्वावधान में छाती रोग विशेषज्ञों की चार दिवसीय वैज्ञानिक कांग्रेस नैपकॉन 2021 का आयोजन किया जाएगा। ये वर्क्शाप 31 मार्च से 3 अप्रैल तक चलेगी। इसमे 2 हजार विशेषज्ञ जुड़ेंगे। इस आयोजन में नई दिल्ली एम्स निर्देशक रणदीप गुलेरिया भी शामिल होंगे।
वाराणसी जनपद में देश-विदेश के विशेषज्ञ एक साथ एक मंच पर जमा होंगे। डॉक्टर बनारस में चार दिनों तक कोरोना वायरस पर महामंथन करने के लिए जुट रहे हैं। कोरोना के कहर के बाद होने वाली बीमारियों के अलावा कोविड से जुड़े नए रिसर्च और अनुभवों पर डॉक्टर्स विस्तार से चर्चा करेंगे। सात साल बाद हो रहे इस आयोजन में देश, विदेश से दो हजार विशेषज्ञ जुटेंगे। आयोजन 31 मार्च से 3 अप्रैल तक किया जाएगा।
पढ़े जाएंगे 130 से ज्यादा शोधपत्र
दीनदयाल हस्तकला संकुल बड़ालालपुर में आयोजन की तैयारियां अंतिम दौर में हैं। बनारस में होने वाली इस कॉन्फ्रेंस में देश और दुनिया के जाने माने चेस्ट फिजीशियन और सांस रोग विशेषज्ञ अपनी नई रिचर्स से कोविड की नई गाइड लाइन के निर्माण में सहयोग करेंगे। साथ ही, कोविड की चौथी लहर की तैयारियों पर भी विस्तार से चर्चा की जाएगी। कोरोना काल में अनुभवों को साझा करने के अलावा चिकित्सा की नई पद्धतियों पर चर्चा की जाएगी। चार दिन में 16 वर्कशॉप और परिचर्चा होगी। 130 से ज्यादा शोधपत्र पढ़े जाएंगे।
पिछले दो साल में कोरोना ने दुनिया भर में मचाई थी तबाही
आपको बता दें कि, हर साल देश के अलग-अलग शहरों में इस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया जाता रहा है, लेकिन पिछले दो साल से कोरोना वायरस के कारण पूरे दो साल बाद इस कॉन्फ्रेंस का आयोजन हो रहा है। आपको बता दें कि, पिछले दो साल में कोरोना ने दुनिया भर में तबाही मचाई, तब चेस्ट रोग विशेषज्ञों ने अहम भूमिका निभाई। खुद की जान की परवाह किए बिना लाखों मरीजों की जान बचाई।
गौरतलब है कि, छाती रोग विशेषज्ञ के मुताबिक, कोरोना के कहर के दौरान चेस्ट फिजियोथेरपी रोगियों में काफी फायदेमंद हुई थी। छाती के अंदर बलगम फंसने और सूखापन आ जाने के कारण सांस लेने में होने वाली दिक्कतों को ठीक करने में यह थैरेपी कारगर साबित हुई थी। उस दौरान विशेषज्ञ फिजियोथेरपिस्ट ने फेफड़ों के अभ्यास के सही तरीकों के बारे में बताया, जिससे कुछ हद तक रोगियों को लाभ भी मिला था।