- तीन माह में वाराणसी जिले में 125 पीआईओ पर 31 लाख रुपए का जुर्माना
- सबसे अधिक जुर्माना लगा जिला अधिकारी कार्यालय के अफसरों पर
- गाजीपुर और चंदौली जिले में भी की गई कार्रवाई
Varanasi News: वाराणसी के सर्किट हाउस में बीते दिनों विभिन्न सरकारी अधिकारियों के साथ राज्य सूचना आयुक्त ने समीक्षा बैठक की। बैठक में चर्चा की गई कि, राज्य में सूचना के अधिकार यानी आरटीआई अधिनियम के प्रावधानों को किस तरह से सुचारू रूप से लागू किया जाए। मामले में राज्य सूचना आयुक्त अजय कुमार उप्रेती ने सभी अधिकारियों से उनके सुझाव भी मांगे। इस दौरान उप्रेती ने ये भी बताया कि, प्रदेश में आरटीई के तहत जानकारी नहीं देने वाले अधिकारियों के खिलाफ जुर्माना लगाने की कार्रवाई बड़े स्तर पर की जा रही है।
आपको बता दें कि, राइट टू इनफॉर्मेशन एक्ट यानी सूचना का अधिकार अधिनियम, वो अधिकार है जो भारत के हर एक नागरिक को दिया गया है। देश का नागरिक होने के नाते एक शख्स को सरकार के हर काम की पूरी जानकारी मिलने का पूरा हक दिया गया। इसका दूसरा उद्देश्य है सिस्टम में पारदर्शिता बनाए रखना।
इन अधिकारियों पर लगे लाखों के जुर्माने
बैठक में राज्य सूचना आयुक्त अजय कुमार उप्रेती ने बताया कि, उत्तर प्रदेश में सूचना आयोग की ओर से पिछले तीन माह में वाराणसी जिले में 125 जन सूचना अधिकारी यानी पीआईओ पर 31 लाख रुपए का जुर्माना लगाया गया है। उन्होंने बताया कि ये सभी सूचना अधिकारी विभिन्न विभागों से संबंधित हैं। इनमें जिला अधिकारी कार्यालय के बीस, वाराणसी नगर निगम के दस, ग्रामीण विकास विभाग के 18 और आयुक्त कार्यालय के चार सूचना अधिकारियों पर जुर्माना लगाया गया है। इतना ही नहीं वाराणसी सहित गाजीपुर और चंदौली जिले के 311 सूचना अधिकारियों पर 77.75 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया।
जनसुनवाई में सुनीं 500 आवेदकों की समस्याएं
समीक्षा बैठक में अधिकारियों को आरटीआई अधिनियम 2005 के अनुसार तय समय सीमा में आवेदकों को पूरी जानकारी देने के निर्देश दिए गए। अधिकारियों को आरटीआई अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार आवेदकों को मांगी गई पूरी जानकारी अधिक बिंदुओं के साथ देने के भी निर्देश दिए गए। इतना ही नहीं मंगलवार और बुधवार को मामले में जनसुनवाई भी की गई, जिसमें पांच सौ आवेदकों की समस्याओं का समधान कर, उन्हें जानकारियां उपलब्ध करवाई गई।