काबुल : अफगानिस्तान पर शासन कर रहे तालिबान ने नशे की लत को खत्म करने के लिए कार्रवाई करनी शुरू कर दी है, भले ही इसके लिए बल का इस्तेमाल क्यों न करना पड़े। तालिबान के लड़ाकों से पुलिस कर्मचारी बने कर्मियों ने राजधानी काबुल के एक इलाकों से मादक पदार्थ हेरोइन और मेथामफेटामाइन्स के नशे के आदि सैकड़ों बेघर व्यक्तियों को हिरासत में लिया और उन्हें पीटा। उन्हें जबरन उपचार केंद्र ले जाया गया।
डॉक्टरों के मुताबिक, व्यक्ति मानसिक रूप से बीमार थे, उन्हें दीवार के सहारे बैठाया गया और उनके हाथ बांध दिए गए। उनसे नशा छोड़ने को कहा गया कि ऐसा नहीं करने पर उनकी पिटाई की जाएगी। कुछ स्वास्थ्य कर्मियों ने इन सख्त तरीकों का स्वागत किया है। एक उपचार केंद्र में काम कर रहे डॉ फजलरब्बी मयार ने कहा, 'हम अब लोकतंत्र में नहीं हैं। यह तानाशाही है। इस तरह के लोगों का इलाज करने का सिर्फ एक तरीका है और वह है बल का इस्तेमाल करना।'
तालिबान ने दिया इस्लाम का हवाला
उन्होंने कहा कि कई अफगान हेरोइन और मेथामफेटामाइन्स के आदी हैं। डॉक्टरों ने बताया कि 15 अगस्त को सत्ता पर कब्जा करने के बाद तालिबान के स्वास्थ्य मंत्रालय ने इन केंद्रों को एक आदेश जारी करके कहा था कि उनकी मंशा नशे की लत की समस्या को सख्ती से नियंत्रित करने की है। मादक पदार्थ का इस्तेमाल इस्लामी सिद्धांत की उनकी व्याख्या के खिलाफ है।
देश में अफीम का अवैध व्यापार अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था और उसकी उथल-पुथल से जुड़ा हुआ है। अफीम की खेती करने वाले तालिबान के लिए महत्वपूर्ण ग्रामीण क्षेत्र का हिस्सा हैं और अधिकांश अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए इस फसल पर निर्भर रहते हैं। तालिबान ने 2000-2001 में अमेरिकी हमले से पहले व्यापक तौर पर अफीम की खेती पर रोक लगाने में कामयाबी हासिल की थी। बाद की सरकारें ऐसा करने में नाकाम रहीं।
अस्पतालों में नहीं हैं दवाइयां
काबुल के गुजरगाह इलाके में एक पुल के नीचे मांद पर लड़ाकों ने छापा मारा और लोगों को वहां से बाहर आने को कहा। कुछ खुद बाहर आ गए, जबकि कुछ को जबरन बाहर निकलना पड़ा। तालिबान के लड़ाके कारी फिदायी ने कहा, 'वे हमारे देशवासी हैं। वे हमारा परिवार हैं और उनमें अंदर से अच्छा इंसान है। अल्लाह ने चाहा तो अस्पताल में मौजूद लोग उनका इलाज कर देंगे।'
एक बुजुर्ग व्यक्ति ने कहा कि वह शायर है और अगर उसे जाने दिया जाता है तो वह फिर कभी नशा नहीं करेगा। लड़ाकों ने कम से कम 150 लोगों को हिरासत में लिया और उन्हें जिला पुलिस थाने ले जाया गया जहां उनके मादक पदार्थ, बटुआ, चाकू आदि सभी सामान जला दिए गए। उन्हें अबीसीना मेडिकल हॉस्पिटल फॉर ड्रग ट्रीटमेंट ले जाया गया, जहां डॉ वहीदुल्ला कोशान ने बताया कि उनका इलाज 45 दिन तक चलेगा। हालांकि उन्होंने कहा कि उनके पास हेरोइन के नशे से मुक्ति दिलाने के लिए काम आने वाली दवाइयों की कमी है।
वहीं, गश्ती दल के अधिकारी कारी गफूर ने कहा, 'यह सिर्फ एक शुरुआत है और बाद में हम किसानों के पास जाएंगे और उन्हें शरिया के मुताबिक सजा देंगे।'