स्टाकहोम : ब्रिटेन में रहने वाले तंजानियाई लेखक अब्दुलरजाक गुरनाह का नाम बृहस्पतिवार को इस वर्ष के साहित्य के नोबेल पुरस्कार के विजेता के रूप में घोषित किया गया। स्वीडिश एकेडमी ने कहा कि 'उपनिवेशवाद के प्रभावों को बिना समझौता किए और करुणा के साथ समझने' में उनके योगदान के लिए पुरस्कार प्रदान किया जा रहा है। यूनिवर्सिटी ऑफ केंट में उत्तर-उपनिवेशकाल के साहित्य के प्रोफेसर के रूप में सेवाएं देते हुए वह हाल ही में सेवानिवृत्त हुए।
जांजीबार में 1948 में जन्मे गुरनाह 1968 में हिंद महासागरीय द्वीप में विद्रोह के बाद किशोर शरणार्थी के रूप में ब्रिटेन आ गए थे। उन्हें स्वीडिश एकेडमी ने जिस समय पुरस्कार के लिए चुने जाने की सूचना के लिए फोन किया, वह दक्षिण पूर्व ब्रिटेन में अपने घर में रसोई में थे। शुरू में उन्होंने इस फोन कॉल को मजाकिया समझा। उन्होंने कहा कि वह पुरस्कार के लिए चुने जाने पर सम्मानित महसूस कर रहे हैं।
'लेखन में वही विषय, जो रोज आते हैं सामने'
गुरनाह ने कहा कि उन्होंने अपने लेखन में विस्थापन तथा प्रवासन के जिन विषयों को खंगाला, वे हर रोज सामने आते हैं। उन्होंने कहा कि वह 1960 के दशक में विस्थापित होकर ब्रिटेन आए थे और आज यह चीज पहले से ज्यादा दिखाई देती है। उन्होंने कहा, 'दुनियाभर में लोग मर रहे हैं, घायल हो रहे हैं। हमें इन मुद्दों से अत्यंत करुणा के साथ निपटना चाहिए।'
गुरनाह के उपन्यास 'पैराडाइज' को 1994 में बुकर पुरस्कार के लिए चयनित किया गया था। उन्होंने कुल 10 उपन्यास लिखे हैं। साहित्य के लिए नोबेल समिति के अध्यक्ष एंडर्स ओल्सन ने उन्हें 'दुनिया के उत्तर-औपनिवेशिक काल के सर्व प्रतिष्ठित लेखकों में से एक' बताया।
इस प्रतिष्ठित पुरस्कार के तहत एक स्वर्ण पदक और एक करोड़ स्वीडिश क्रोनर (लगभग 11.4 लाख डॉलर राशि) प्रदान की जाएगी। पिछले साल साहित्य का नोबेल पुरस्कार अमेरिकी कवयित्री लुइस ग्लुक को दिया गया था।
गौरतलब है कि नोबेल समिति ने सोमवार को चिकित्सा के लिए, मंगलवार को भौतिकी के लिए और बुधवार को लिए रसायनविज्ञान के लिए विजेताओं के नाम की घोषणा की थी।