- अमेरिका और पश्चिमी देशों को लगता है कि रूस की मदद कर सकता है चीन
- बाइडन ने कहा है कि चीन ने मदद की तो उसे गंभीर परिणाम भुगतने होंगे
- जानकारों का मानना है कि रूस-यूक्रेन युद्ध का लाभ चीन को मिल सकता है
Russia Ukraine war : अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने गुरुवार को कहा कि उन्होंने चीन के राष्ट्रपति शी जनिपिंग से साफ-साफ कहा है कि अगर उसने रूस को किसी तरह से मदद पहुंचाई तो इसके गंभीर परिणाम होंगे। बाइडेन से सवाल पूछा गया था कि क्या चीन, रूस की मदद कर सकता है? इस सवाल के जवाब में अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि पिछले सप्ताह इस विषय पर उनकी चीन के राष्ट्रपति से 'बहुत ही सीधी बातचीत हुई।'
नाटो देशों की बैठक के बाद बाइडेन का बयान
ब्रसेल्स में गुरुवार को नाटो मुख्यालय में जी-7 एवं नाटो देशों की बैठक के बाद बाइडेन पत्रकारों के सवालों का जवाब दे रहे थे। बाइडेन का कहना है कि उन्होंने 'कोई धमकी नहीं दी' लेकिन यह स्पष्ट रूप से कहा कि चीन यदि रूस की मदद करेगा तो उसे गंभीर परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहना चाहिए। बाइडेन ने कहा कि चीन को यह समझना चाहिए उसका आर्थिक भविष्य रूस से कहीं ज्यादा पश्चिमी देशों पर टिका है। उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि रूस-यूक्रेन युद्ध में चीन की कोई भूमिका नहीं होगी।
यूक्रेन में मानवीय संकट के लिए महासभा ने रूस को जिम्मेदार ठहराया, वोटिंग से फिर दूर रहा भारत
रूस को जी-20 से बाहर करना चाहते हैं बाइडेन
अमेरिकी राष्ट्रपति का कहना है कि वह चाहते हैं कि रूस को जी (समूह) -20 से बाहर कर दिया जाए। बाइडेन ने कहा कि उन्होंने बृहस्पतिवार को अन्य वैश्विक नेताओं के साथ मुद्दा उठाया है। उन्होंने कहा कि वह चाहेंगे कि समूह से रूस को बाहर किया जाए अगर इससे इंडोनेशिया और अन्य असहमत होंगे तो वह कहेंगे कि यूक्रेन के नेताओं को बातचीत में शामिल होने की अनुमति दी जाए। बाइडेन और पश्चिमी सहयोगियों ने बृहस्पतिवार को रूस पर नए प्रतिबंध लगाने और यूक्रेन को मानवीय सहायता देने का नया संकल्प लिया।
'...तो छिड़ जाएगा तीसरा विश्वयुद्ध', यूक्रेन संकट के बीच जो बाइडेन की खुली चेतावनी
चीन का रूस के प्रति है नरम रुख
यूक्रेन पर रूस ने गत 24 फरवरी को हमला किया। इसके बाद से अमेरिका सहित पश्चिमी देशों ने मास्को पर आर्थिक सहित राजनीतिक प्रतिबंध लगाए हैं। रूस को युद्ध के लिए जिम्मेदार ठहराने के लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा एवं सुरक्षा परिषद में प्रस्ताव आए हैं लेकिन चीन का रुख रूस के समर्थन में रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि युद्ध की स्थिति का लाभ चीन उठा सकता है। रूस को वह जरूरी सामानों की आपूर्ति एवं उसका तेल एवं गैस खरीद सकता है।