बीजिंग : चीन दक्षिण चीन सागर से लेकर हिंद महासागर तक अपनी सैन्य तैनाती बना रहा है और भारत को घेरने की कोशिश में भी लगा है। पाकिस्तान के साथ मिलकर वह पूर्वी एशिया से अफ्रीका तक जाल बिछा रहा है। चीन की नीयत को लेकर भारत भी चौकस बना हुआ है और उसकी हर चाल पर नजर रख रहा है। इस बीच चीन को लेकर ऐसी जानकारी सामने आई है, जिसने दुनिया के कई देशों को चिंता में डाल दिया है।
इस संबंध में जर्मन नौसेना प्रमुख वाइस एडमिरल के-अचिम शॉनबैक का वह बयान गौर करने लायक है, जिसमें उन्होंने कहा कि चीन की नौसेना का आकार जिस तरह से बढ़ रहा है, वह चिंता का कारण है। उन्होंने बुधवार को सिंगापुर में यह टिप्पणी की थी और कहा था कि चीन हर चार साल में अपनी नौसेना का आकार उतना बढ़ा लेता है, जितनी कि फ्रांस की नौसेना है। यह स्थिति 'विस्फोटक' और चिंतनीय है।
तेजी से बढ़ रहा नौसेना का आकार
जर्मना नौसेना प्रमुख का यह बयान ऐसे समय में आया है, जबकि चीन सैन्यकर्मियों की संख्या के लिहाज से अब भी दुनिया की सबसे बड़ी ताकत है। जर्मन डेटाबेस कंपनी स्टेटिका की एक हालिया रिपोर्ट में जहां चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी को दुनिया की सबसे बड़ी विशाल सेना बताया गया, वहीं नौसेना को लेकर भी कहा गया कि इसका आकार तेजी से बढ़ रहा है और यह दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली नौसेना है।
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इस साल चीनी सेना के कुल कर्मचारियों की संख्या जहां तकरीबन 2,185,000 बताई गई है, वहीं चीनी नौसेना को मौजूदा वक्त में दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली नौसेना के तौर पर गिना जाता है। बताया जाता है कि राष्ट्रपति शी जिनपिंग द्वारा समर्थित एक नए सैन्य सिद्धांत के तहत चीनी सेना अपना वैश्विक प्रभाव बढ़ाने में जुटी हुई है और अपनी नौसेना और वायुसेना की ताकत में इसने कई गुना इजाफा किया है।
खुद को बताया 'विश्व शांति' का निर्माता
चीन की नौसेना को लेकर यह तथ्य भी सामने आया है कि इसमें मासिक आधार पर नए जहाजों को बेड़े में शामिल किया जाता है। चीनी नौसेना की ताकत में बेहिसाब इजाफे के बीच ही जर्मन नौसेना प्रमुख ने इसे लेकर चिंता जताई है और चीन से अंतरराष्ट्रीय नियम-आधारित व्यवस्था का पालन करने की अपील की। हालांकि चीन ने इन आरोपों को बेबुनियाद करार दिया है और दावा किया कि वह 'विश्व शांति' का निर्माता है।
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चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने जर्मन नौसेना प्रमुख शॉनबैक की टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर कहा कि चीन अपने वैध राष्ट्रीय सुरक्षा हितों की रक्षा के लिए अपनी सैन्य क्षमता विकसित कर रहा है। कोई भी देश जब तक चीन की संप्रभुता, सुरक्षा और क्षेत्रीय अखंडता को खतरे में डालने या नुकसान पहुंचाने का कोई इरादा नहीं रखता, उसे चीन के राष्ट्रीय रक्षा बलों से कभी भी खतरा नहीं होगा।
चीन की गतिविधियों को लेकर चिंता
चीन का यह बयान दक्षिण चीन सागर में बढ़ती उसकी गतिविधियों और इसे लेकर अंतरराष्ट्रीय चिंताओं के बीच आया है। चीन दक्षिण चीन सागर के अधिकांश हिस्सों पर जहां अपने दावे करता है, वहीं इसके अन्य दावेदारों में वियतनाम, फिलीपींस, मलेशिया, ब्रुनेई और ताइवान भी शामिल हैं। अमेरिका सहित कई देश चीन पर दक्षिण चीन सागर में अनधिकवृत सैन्य गतिविधियों को जारी रखने का आरोप लगा चुके हैं।