- 42 देश ऐसे हैं, जिनका चीन से लिया हुआ कुल कर्ज, उनके GDP का 10 फीसदी से ज्यादा पहुंच चुका है।
- पाकिस्तान के कुल विदेशी कर्ज में चीन के कर्ज की हिस्सेदारी 27 फीसदी से ज्यादा पहुंच चुकी है।
- आम तौर पर दूसरे देशों की तुलना में चीन का कर्ज 3-4 गुना महंगा होता है।
नई दिल्ली: अपनी खूबसूरत तस्वीरों के लिए प्रसिद्ध श्रीलंका से आजकल डराने वाली तस्वीरें सामने आ रही हैं। खाने-पीने की चीजों की किल्लत और आर्थिक तंगी से परेशान लोग सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं। हालात इस तरह बेकाबू हैं कि पेट्रोल पंप पर सेना के जरिए सीमित मात्रा में ईंधन की सप्लाई करनी पड़ रही है। खाद्य महंगाई दर 30 फीसदी पहुंच गई है। ऐतिहासिक आर्थिक संकट में अब तो सरकार ने भी हाथ खड़े कर दिए हैं। उन्हें कुछ सूझ नहीं रहा है कि हालात कैसे सुधारे जाएं। श्रीलंका के इस गंभीर संकट में फंसने की एक बड़ी वजह, चीन का कर्ज है। जिसके सहारे श्रीलंका सरकार ने ऊंची ब्याज दर पर कर्ज लेकर बड़े पैमाने पर निवेश किया लेकिन रिटर्न नहीं मिलने से वहीं कर्ज अब उसके गले की हड्डी बन गया है। खैर श्रीलंका ऐसा पहला देश नहीं है जो चीन के कर्ज के कुचक्र में फंसा है। इसमें भारत के पड़ोसी पाकिस्तान, म्यांमार, मालदीव से लेकर बंग्लादेश से लेकर दुनिया के 165 देश शामिल हैं।
843 अरब डॉलर का चीन ने विदेश में कर रखा है निवेश
रिसर्च लैब AID DATA की रिपोर्ट के अनुसार चीन ने दुनिया के 165 देशों के 13427 प्रोजेक्ट में 843 अरब डॉलर का निवेश कर रखा है। जिसके लिए चीन के 300 से ज्यादा सरकारी फाइनेंस संस्थाओं (बैंक और फाइनेंस कंपनी) ने कर्ज दिया है। सबसे अहम बात यह है चीन ने सबसे ज्यादा गरीब देशों को कर्ज दिया है। और इसमें 42 देश ऐसे हैं, जिनका चीन से लिया हुआ कुल कर्ज, उनके सकल घरेलू उत्पाद (GDP)का 10 फीसदी से ज्यादा पहुंच चुका है। श्रीलंका के मामले में भी ऐसी ही स्थिति है। श्रीलंका की 2021 में जीडीपी करीब 81 अरब डॉलर की है। जबकि उस पर चीन का करीब 8 अरब डॉलर का कर्ज है। वहीं उस पर कुल देनदारी 45 अरब डॉलर की है। इस लिस्ट में पाकिस्तान , मालदीव, म्यांमार, लाओस, पापुआ न्यूगिनी, ब्रुनेई, कंबोडिया जैसे देश भी शामिल हैं।
देश | विदेशी कर्ज में चीन की हिस्सेदारी |
पाकिस्तान | 27.1 फीसदी |
श्रीलंका | 17.77 फीसदी |
मालदीव | 20 फीसदी |
बांग्लादेश | 6.81 फीसदी |
नेपाल | 3.39 फीसदी |
स्रोत: IMF, World Bank
दूसरे देशों की तुलना में चीन का कर्ज 3-4 गुना महंगा
अभी श्रीलंका के सामने सबसे बड़ी समस्या यह है कि उसे चीन से मिले कर्ज पर कोई रियायत नहीं मिल रही है। चीन ने इस संकट में न केवल श्रीलंका का साथ छोड़ दिया है बल्कि कर्ज चुकाने में भी कोई राहत नहीं दे रहा है। ऐसे में महंगा कर्ज श्रीलंका के लिए बड़ी मुसीबत बन गया है। AID DATA की रिपोर्ट के अनुसार आम तौर पर चीन ने दूसरे देशों को 4.2 फीसदी के ऊंची ब्याज दर पर कर्ज दे रखा है। जबकि जापान, जर्मनी, फ्रांस ओईसीडी-एडीसी जैसे देश 1.1 फीसदी ब्याज पर कर्ज देते हैं। इसके अलावा कर्ज की अवधि भी चीन ने काफी कम रखी है। मसलन चीन ने ज्यादातर देशों को 10 साल की अवधि के लिए कर्ज दे रखे हैं। वहीं जापान, जर्मनी, फ्रांस,ओईसीडी-एडीसी जैसे देश 28 साल की अवधि पर कर्ज देते हैं।
Sri Lanka: श्रीलंका में हटाया गया आपातकाल, राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने जारी की अधिसूचना
भारत के पड़ोसी देश में कैसे फैलाया कर्ज का जाल
- इंडियन काउंसिल ऑन ग्लोबल रिलेशन की एक रिपोर्ट के अनुसार चीन ने भारत के पड़ोसी देशों मालदीव, म्यांमार, पाकिस्तान, नेपाल, श्रीलंका, बंग्लादेश में कोविड-19 से पहले 150 अरब डॉलर का निवेश कर रखा है। इसमें से बड़ा निवेश BRI (Belt And Road Initiative) के तहत किया गया है। यही नहीं चीन अब मालदीव, म्यांमार, श्रीलंका और पाकिस्तान में सबसे बड़ा विदेशी निवेशक बन चुका है।
- चीन का इन देशों में पॉवर,सड़क, रेलवे,बंदरगाह, पुल, हवाई अड्डों में प्रमुख रूप से निवेश है। इसके अलावा ज्यादा प्रोजेक्ट्स चीन के कांट्रैक्टर्स के पास हैं।
- इसी तरह चीन ने इन देशों के फाइनेंशियल सिस्टम में भी सेंध लगा दी है। जैसे चीन ने कराची और ढाका स्टॉक एक्सचेंज में भी हिस्सेदारी खरीद ली है।
चीन के चक्कर में पैसे-पैसे को मोहताज श्रीलंका ! 8 अरब डॉलर के कर्ज ने किया बेहाल