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कोविड-19 पर स्वतंत्र जांच के लिए अगर सामने नहीं आया चीन तो उसकी मंशा पर उठेंगे सवाल

Updated May 18, 2020 | 14:35 IST

China must offer a independent probe over Covid-19 outbreak: कोविड 19 पर चीन की भूमिका सवालों के घेरे में है क्योंकि इसे लेकर उसकी नीयत पर संदेह है।

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तस्वीर साभार:&nbspAP
कोविड-19 को लेकर चीन की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं।
मुख्य बातें
  • चीन को छोड़कर दुनिया के ज्यादातर देश इस बात पर सहमत हैं कि यह महामारी वुहान शहर से फैली
  • अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए का कहना है कि कोविड-19 स्वाभाविक नहीं है बल्कि यह चीन के लैब से फैला है
  • चीन यदि वास्तव में इस महामारी का शिकार हुआ है तो जांच में उस पर से दुनिया को जोखिम में डालने का आरोप मिट सकता है

नई दिल्ली: कोविड-19 संकट की वजह से दुनिया की अर्थव्यवस्था हिल गई है। भारत सहित दुनिया के तमाम देश अपने लॉकडाउन की घेरेबंदी से अब बाहर निकलने के रास्ते तलाशने लगे हैं। विश्व के देशों को अब अहसास हो गया है कि इस महामारी से तत्काल निजात संभव नहीं है। मनुष्य को अब इसके साथ जीने की आदत डालनी होगी चाहे उसके लिए उसे थोड़ी कीमत क्यों न चुकानी पड़े। ऐसा इसलिए क्योंकि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) हाल के दिनों में इस बात का जिक्र कई बार कर चुका है कि यह जरूरी नहीं कि कोविड-19 का टीका मिल ही जाए। 

डब्ल्यूएचओ की यह बात महत्वपूर्ण इसलिए भी है कि दशकों के शोध एवं प्रयोगों के बावजूद अभी एड्स जैसी बीमारी का टीका या वैक्सीन बन नहीं पाया है। हो सकता है कि कोविड-19 का टीका भी अगले कुछ वर्षों तक विकसित नहीं हो पाए। ऐसी सूरत में मानवता को इस महामारी से लड़ने के साथ-साथ आगे बढ़ना होगा। ऐसे में यह लोगों के लिए यह अत्यंत जरूरी हो जाता है कि वे उन सभी उपायों एवं एहतियाती कदमों को अपनी जीवन में शामिल करने की आदत डालें जिससे कि कोविड-19 के संक्रमण को दूर रखा जा सके। 

कोविड-19 के झटके ने अर्थव्यवस्थाओं की नीव हिला दी

इस महामारी ने दुनिया को ऐसे मोड़ पर लाकर खड़ा कर दिया है कि अब उसे अपने विकास एवं जीवन चक्र के लिए नए तौर-तरीके एवं नियम बनाने होंगे। कोविड-19 के झटके ने अर्थव्यवस्थाओं की नीव हिला दी है। आर्थिक व्यवस्था के पटरी से उतरने का प्रभाव दिखाई देने लगा है। इस संकट से उबरने के लिए विकसित और विकासशील देशों ने बड़े-बड़े आर्थिक राहत पैकेज जारी किए हैं। जाहिर है कि इसका अर्थव्यवस्था पर एक सकारात्मक असर होगा लेकिन यह अस्थाई समाधान नहीं है। महामारी से दुनिया को जो नुकसान हुआ है उसकी भरपाई केवल आर्थिक पैकेज से नहीं हो सकती। कोई बीमारी जब महामारी बनती है तो वह पूरी दुनिया को अपनी चपेट में लेती है जैसा कि कोविड-19 मामले में हुआ है। 

महामारी पर डब्ल्यूएचओ की भूमिका महत्वपूर्ण

महामारी पर डब्ल्यूएचओ की भूमिका महत्वपूर्ण है। हमें यह देखना होगा कि कोविड-19 से निपटने में डब्ल्यूएचओ के दिशा-निर्देश एवं उसकी भूमिका कितनी कारगर साबित हुई। इसमें अगर कोई खामियां एवं कमियां हैं तो उस पर ध्यान देना होगा। इस वैश्विक संस्था में ऐसी व्यवस्था विकसित करनी होगी जो बीमारी के महामारी में बदलने की सूरत में तत्काल एवं प्रभावी कदम उठाने के लिए देशों को प्रेरित करे। संगठन में महामारी से निपटने के लिए जो अभी व्यवस्था है उसकी भूमिका पर एक बार फिर नए सिरे चर्चा करने की जरूरत है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस महामारी को लेकर संगठन के मुखिया पर सवाल उठे हैं। रिपोर्टों में कहा गया है कि इस महामारी पर डब्ल्यूएचओ प्रमुख का जो शुरुआती रुख रहा वह स्थिति की गंभीरता को सही तरीके से सामने रखने में असफल हुआ।  

कोरोना का विलेन वूहान शहर

चीन को छोड़कर दुनिया के ज्यादातर देश इस बात पर सहमत हैं कि यह महामारी वुहान शहर से फैली। इस महामारी के चमगादड़ से फैलने की बात कही गई है। अमेरिका ने कोरोना वायरस के लिए सीधे तौर पर चीन को जिम्मेदार ठहराया है। अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए का कहना है कि कोविड-19 स्वाभाविक नहीं है बल्कि यह चीन के लैब से फैला है। कई मीडिया रिपोर्टों में भी दावा किया गया है कि वुहान के एक लैब में चमगादड़ में पाए जाने वाले कोरोना की एक प्रजाति पर टेस्ट हो रहा था। आशंका है कि इस टेस्ट के दौरान का वायरस लैब से लीक हो गया। चीन अमेरिका के इस दावे से सहमत नहीं है। वह खुद को पीड़ित बता रहा है। देशों को चीन के इस रुख पर संदेह है। इस संदेह एवं आशंका को दूर करने के लिए चीन को चाहिए कि वह कोविड-19 फैलाव पर एक स्वतंत्र जांच की पेशकश करे। एक स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय जांच होने पर कोविड-19 के संक्रमण और उसके फैलाव पर जो अटकलें एवं दावे किए जा रहे हैं उसका बहुत हद तक जवाब मिल जाएगा। 

चीन की साख फिर हुई दागदार

चीन यदि वास्तव में इस महामारी का शिकार हुआ है तो जांच में उस पर से दुनिया को जोखिम में डालने का आरोप मिट सकता है और दुनिया को कोविड-19 के फैलाव पर वास्तविक स्थिति का पता चल पाएगा। कई देश स्वतंत्र जांच एवं महामारी की जवाबदेही तय करने की बात करने लगे हैं। स्वतंत्र जांच न होने पर चीन की मंशा पर बार-बार सवाल उठेंगे। ऐसे में यह चीन के लिए जरूरी है कि वह कोविड-19 पर साफ-सुथरा निकल कर सामने आए। अगर वह ऐसा नहीं करता है तो एक जिम्मेदार देश के रूप में उसकी भूमिका में कमी आएगी और वैश्विक व्यवस्था में जो उसका एक वर्चस्व एवं रसूख है उसे चुनौती मिलने शुरू हो जाएगी। अमेरिका इस महामारी को लेकर चीन को पहले ही कठघरे में खड़ा कर रहा है। इससे दोनों देशों के बीच तनातनी का दौर शुरू हो गया है। इसमें यदि कमी नहीं आई तो दुनिया एक और शीतयुद्ध के दौर में प्रवेश कर सकती है।