- नेपाल में चल रहे राजनीतिक गतिरोध को सुलझाने के लिए अब चीन काठमांडू भेज रहा है अपने नेता
- नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी दोफाड़ हो चुकी है, ओली ने भंग कर दी संसद
- पिछले दो महीनों में भारत की यात्राओं की एक श्रृंखला के बारे में भी चिंतित है नेपाल
काठमांडू: सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी में बिखराव को देखते हुए सुलह कराने के इरादे से चीन अपनी पार्टी के शीर्ष नेताओं को काठमांडू भेज रहा है। नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) में उठापटक से परेशान चीन इसे विभाजित होने से बचाने के अपने अंतिम प्रयास के तहत अपने नेताओं को नेपाल भेज रहा है।दरअसल, बीते सप्ताह नेपाल के प्रधानमंत्री के. पी. शर्मा ओली ने संसद को भंग कर दिया था। इसके बाद माना जा रहा है कि नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी दोफाड़ हो चुकी है।
भारत की यात्राओं से भी चिंतिंत है नेपाल
कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (सीपीसी) की सेंट्रल कमेटी के अंतरराष्टीय विभाग के उप-मंत्री गियो येछाउ ऐसे समय में नेपाल का दौरा कर रहे हैं, जब सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी में कहल अपने चरम पर पहुंच गया है।नेपाल के प्रमुख अंग्रेजी अखबार काठमांडू पोस्ट ने शनिवार को अपने ऑनलाइन संस्करण में लिखा है कि सदन को भंग करने के निर्णय ने चीन को आश्चर्यचकित कर दिया है और वे पिछले दो महीनों में भारत की यात्राओं की एक श्रृंखला के बारे में भी चिंतित हैं, जिसमें एक स्थायी समिति के सदस्य भी शामिल हैं, जो नेपाल पर चीन की स्थिति से अवगत हैं।
चार दिवसीय यात्रा पर
माना जा रहा है कि चीन नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के दोनों धड़ों के नेताओं (प्रधानमंत्री ओली और पुष्प कमल दहाल 'प्रचंड' धड़ा) से मुलाकात कर पार्टी को टूटने से रोकने का प्रयास कर रहा है। सत्तारूढ़ पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर आईएएनएस को बताया कि गियो काठमांडू में चार दिवसीय यात्रा पर रविवार को आ रहे हैं। उनके प्रधानमंत्री ओली, प्रचंड और सत्तारूढ़ पार्टी के अन्य नेताओं के साथ ही राष्ट्रपति बिध्या देवी भंडारी से मुलाकात किए जाने की उम्मीद है। इससे पहले चीनी मंत्री ने 2018 में नेपाल का दौरा किया था।