- पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के खिलाफ क्रूर अत्याचारों का सिलसिला जारी
- पंजाब प्रांत के गुंजारावाला में भीड़ ने ईसाई मां-बेटे को मारा डाला
- इमरान सरकार ने चुप्पी साधी, लोगों ने चुप्पी को लेकर उठाए सवाल
लाहौर: पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों को लगातार निशाना बनाया जा रहा है। अल्पसंख्यक चाहे हिंदू हो या ईसाई हर किसी पर अत्याचार रूकने का नाम नहीं ले रहे हैं। ताजा मामला पाकिस्तान पंजाब के गुजरांवाला के वजीराबाद से आया है जहां ईसाई समुदाय की एक महिला तथा उसके बेटे को भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला। पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर इस तरह के अत्याचार कोई नई बात नहीं है। एक हफ्ते के अंदर यह ऐसी दूसरी घटना है।
बेरहमी से की हत्या
ईसाई माँ यासमीन और उसका बेटे उस्मान मसीह को मोहम्मद हसन के अगुवाई में आई इस्लामी भीड़ ने बेरहमी से मार डाला। दोनों मां-बेटे पर ईशनिंदा का आरोप लगा है। सोशल मीडिया पर इन दोनों मृतकों की तस्वीर वायरल हो रही है और लोग लगातार इमरान खान के साथ-साथ वैश्विक मानवाधिकार संगठनों से भी सवाल पूछ रहे हैं। लेकिन इमरान खान ने इस बर्बर हत्याकांड पर चुप्पी साधी है।
भीड़ को उकसाकर मारा
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मोहम्मद हसन नाम के शख्स ने भीड़ को उकसाने का काम किया और फिर बेकाबू हुई भीड़ ने दोनों को पीट-पीटकर मार डाला। पिछले दिनों ही यहां एक 13 साल की बच्ची का अपहरण कर जबरन इस्लाम कबूल करवा दिया था और फिर एक बुजुर्ग शख्स के साथ उसकी शादी करवा दी। इस दौरान बच्ची का परिवार रोते-बिलखते रहा है लेकिन किसी पर कोई फर्क नहीं पड़ा।
उच्च न्यायालय तक पहुंचा मामला
पाकिस्तान उच्च न्यायालय में इसे लेकर सुनवाई भी हुई और उच्च न्यायालय ने सोमवार को एक नाबालिग ईसाई लड़की को आश्रय गृह भेज दिया। लड़की के पिता की ओर से दर्ज करवाई गई प्राथमिकी के अनुसार कराची की रेलवे कॉलोनी निवासी 13 वर्षीय आरजू 13 अक्टूबर से लापता थी। बाद में पता चला कि उसका निकाह 45 वर्षीय मुस्लिम व्यक्ति से हो चुका है। लड़की को इस्लाम कबूल करवाया गया था। इस रिपोर्ट के बाद अदालत ने पुलिस को लड़की के तथाकथित पति के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया। हालांकि, लड़की ने सुनवाई में कहा कि उसे अगवा नहीं किया गया और उसने अपनी मर्जी से इस्लाम को अपनाकर अजहर से निकाह किया है।