बीजिंग : कोरोना वायरस संक्रमण का पहला मामला नवंबर 2019 में चीन से ही सामने आया था, जिसके बाद वुहान में लॉकडाउन लगा दिया गया था। इसके बाद दुनिया के कई हिस्सों में यह तेजी से फैला और महामारी की शक्ल ले ली। भारत सहित दुनिया के कई हिस्सों में इन दिनों कोविड की बेकाबू रफ्तार नियंत्रण में है तो कई देशों में हालात अब भी खराब हैं। वहीं चीन के कई शहरों में एक बार फिर कोविड के रिकॉर्ड मामले सामने आ रहे हैं, जिसने चिंता बढ़ा दी है।
चीन का सबसे बड़ा शहर और वैश्विक वित्तीय केंद्र शंघाई इन दिनों कोविड की चपेट में है। यहां कोविड जिस रफ्तार से बढ़ रहा है, उसके परिणामस्वरूप यह चीन में संक्रमण का नया केंद्र बनता जा रहा है। यहां बीते 24 घंटों में 21,000 से अधिक नए कोविड केस दर्ज किए गए हैं, जिनमें 20,398 असिम्पटोमैटिक (जिनमें लक्षण नहीं हैं) और 824 सिम्पटोमैटिक (कोरोना के लक्षण वाले मरीज) हैं। यह लगातार सातवां दिन है जब यहां 20,000 से अधिक नए कोविड केस 24 घंटों में सामने आए हैं।
हजारों आइसोलेशन बेड की जरूरत
शंघाई में अभी जिस तरह के हालात हैं, उसे देखते हुए यहां हजारों आइसोलेशन बेड की जरूरत महसूस की जा रही है, जिसे बनाने का काम युद्धस्तर पर किया जा रहा है। यहां बढ़ते कोविड केस के लिए कोरोना वायरस के ओमिक्रोन वैरिएंट को जिम्मेदार समझा जा रहा है।
चीन में 'कोरोना' की दहशत, शंघाई शहर में दो साल बाद लगा सबसे बड़ा "लॉकडाउन"
चीन के इस सबसे बड़े शहर में बढ़ते संक्रमण की वजह से कई तरह की व्यावसायिक गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है तो आम लोगों को भी कई तरह की पाबंदियों का सामना करना पड़ रहा है। साथ ही यहां कोविड की जांच के लिए सघन अभियान भी चलाया गया है और लोगों के सैंपल की जांच कई स्तरों पर की जा रही है।
शी ने किया पाबंदियों का बचाव
इस बीच चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने यहां कोविड से बचाव के लिए कड़ी पाबंदियों का यह कहते हुए समर्थन किया है कि स्वास्थ्य सबसे पहले है। उन्होंने कहा कि चीन ने कोविड की रोकथाम के लिए जो सख्त प्रतिबंध लगाए गए और इसके लिए रणनीति बनाई, उसकी वजह से ही यहां शीतकालीन ओलंपिक का आयोजन सफलतापूर्वक हो पाया।
क्या चीन में कोविड के खिलाफ लड़ाई हुई नाकाम, 20 हजार से ज्यादा मामले सामने आए
यहां गौर हो कि चीन इस वक्त कोविड-19 की सबसे भयावह लहर का सामना कर रहा है। यहां शंघाई सहित अलग-अलग शहरों में इस समय जितने केस सामने आ रहे हैं, उनकी तुलना अगर उस वक्त के हालात से की जाए, जब यहां कोविड 2019 के आखिर में शुरू होकर 2020 की शुरुआत तक पीक पर पहुंचा था तो यहां आज के हालात अधिक चिंताजनक नजर आ रहे हैं।