जब पूरा चीन लूनर कैलेंडर के अनुसार नव वर्ष जिसे वसंत त्योहार भी कहा जाता है की तैयारी में व्यस्त था तो ऐसे समय में चीन में एक ऐसा जानलेवा वायरस ने जन्म लिया जोकि पूरे देश में बहुत तेजी से फैलता चला गया। इस वायरस का केंद्र हूपेई प्रांत का वुहान शहर है। हरेक साल वसंत त्यौहार मनाने के लिए करोड़ों चीनी परिवार एक शहर से दूसरे में आवागमन करते हैं। इस वायरस के फैलने का कारण कुछ विशेषज्ञों के द्वारा वुहान शहर में स्थित मांस-मछली बाजार बता रहे हैं तो कुछ विशेषज्ञ इसे चमगादड़ से फैलने वाली महामारी बता रहे हैं।
22 देशों में अबतक उपस्थिति दर्ज करा चुका है कोरोना
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक अभी तक इस वायरस से लगभग पैंतालिस हजार से भी ज्यादा लोग इसकी चपेट में आ चुके हैं जिसमें बीस हजार से ज्यादा लोग इस वायरस से ग्रसित हैं, तेईस हजार से ज्यादा लोग इस वायरस के संक्रमण में आने के संदह में हैं, 730 से ज्यादा लोगों का सफल तौर पर ईलाज हुआ है और 426 से ज्यादा लोग इस वायरस के कारण मौत को गले लगा चुके हैं। यह वायरस चीन सहित दुनिया के 22 देशों में अपनी उपस्थिति दर्ज करा चुका है। दुनिया के तमाम देश जहाँ इस वायरस से बचने एवं कारगर इलाज के लिए प्रयत्नरत है वहीं चीन सरकार की इस महामारी को लेकर उठाए गए कदम भी काफी सराहनीय हैं। इस महामारी की भयावह स्थिति को देखते हुए चीन के प्रधानमंत्री ली ख छ्यांग ने वुहान शहर का दौरा किया और लोगों को आश्वसत करते हुए भरोसा दिलाया कि सरकार इस महामारी पर काबू पाने के लिए पुरजोर कोशिश कर रही है। चीनी प्रधानमंत्री ने अस्पताल में वायरस से संक्रमित लोगों की बढ़ती संख्या को देखते हुए एक हजार बेड वाला नए अस्पताल के निर्माण की घोषणा की और सरकार तथा लोगों की तत्परता से आनन-फानन में इस अस्पताल को तैयार भी कर लिया गया है। लेकिन बात यहीं खत्म नहीं हो जाती है। विदेशी मिडिया और चीनी सोशल मिडिया में इस वायरस के फैलने को लेकर तरह-तरह की अटकलें लगाईं जा रही हैं।
क्यों हुआ कोरोना? अबतक ठोस वजह का पता नहीं लगा
हालांकि अभी तक किसी ठोस वजह पर पहुँचना बहुत मुश्किल लग रहा है लेकिन मुख्य कारण वुहान शहर में स्थित मांस-मछली बाजार को ही बताया जा रहा है। वहीं चीनी सोशल मीडिया वी चैट पर इस वायरस के फैलने का कारण चमगादड़ भी बताया जा रहा है। कुछ विदेशी मिडिया इस वायरस को फैलने का आरोप वुहान में ही स्थित पी4 लैब को बता रहे हैं। उनका मानना है कि वुहान में स्थित पी4 लैब में कुछ वैज्ञानिक इस वायरस पर अनुसंधान कर रहे थे और किसी वैज्ञानिक के भूलवश यह वायरस समाज में फैल गया। कुछ विदेशी मीडिया यह भी आरोप लगा रही है कि चीन सरकार को इस वायसर के लीक होने की खबर दिसंबर माह में ही लग गई थी लेकिन सरकार ने इसे रोकने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया जिसके फलस्वरूप इसने महामारी का रूप ले लिया है।
चीनी सरकार ने उठाए हैं ठोस कदम
अभी तक सरकार ने इस वायरस की रोकथाम को लेकर कई ठोस कदम उठाए हैं। सबसे पहला ठोस कदम वुहान शहर को दूसरे शहरों के बिल्कुल काट देना है। हालांकि वुहान शहर दूसरे शहरों से बिल्कुल कट चुका है लेकिन खाद्य आपूर्ति, दवा एवं आवश्यक सामग्री की आपूर्ति के लिए सरकार ने ठोस प्रबंध भी किया है। वहीं दूसरे शहरों में सरकार ने लोगों को सख्त हिदायत दिया है कि वे बिना मास्क के सड़क पर या बाहर ना निकलें। वायरस के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए वसंत त्यौहार की छुट्टी को भी बढ़ा दिया गया है। स्कूलों एवं विश्वविद्यालयों के छात्रों को घर पर ही रहने की हिदायत दी गई है और उन्हें कहा गया है कि विश्वविद्यालय के अगले आदेश तक वे कहीं आवागमन न करें। विद्यार्थियों की स्थिति का जायजा लेने के लिए हरेक विश्वविद्यालय में एक विशेष टीम का गठन किया गया है जोकि प्रतिदिन उनके स्वास्थ्य संबंधित स्थितियों का जायजा लेते हैं। दूसरी ओर, विदेशी छात्र जो अभी चीन के विभिन्न विश्वविद्यालयों में फंसे हुए हैं उन्हें छात्रावास में ही रहने की हिदायत दी गई है। कुछ विश्वविद्यालयों में छात्रों को मास्क भी प्रदान किया गया है।
कोरोना की वजह से कई कंपनियों के बंद होने का अंदेशा
वसंत त्यौहार की छुट्टी समाप्त होते ही कई लोग वापस अपने शहर लौट रहे हैं और काम पर जाने की तैयारी कर रहे हैं। चीन के प्रसिद्ध विशेषज्ञ चुंग नान शान का अंदेशा है कि यह वायरस फरवरी माह के पहले दो हफ्तों में तेजी से बढ़ेगा। सरकार ने एहतियात के तौर पर कंपनियों को बंद रखने का निर्देश दिया है। लेकिन सरकार के निर्देश ने छोटे एवं मझोले कंपनियों के लिए विकट समस्या पैदा कर दिया है। उनका कहना है कि अगर लोग काम पर नहीं लौटेंगे तो उनकी कंपनी बंद हो जाएगी। सरकार के पास अभी इस स्थिति से निपटने के लिए कोई कारगर उपाय नहीं है, इसलिए दोनों के बीच द्वंद की स्थिति है। इस वायरस के फैलने से चीन की अर्थव्यवस्था को भी बहुत नुकसान पहुँचने का अंदेशा है। ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि अगर जल्द ही इस महामारी पर काबू नहीं पाया गया तो कई कंपनियाँ बंद भी हो सकती हैं।
कई देशों ने चीन की तरफ बढ़ाया दोस्ती का हाथ
संकट की इस विकट परिस्थिति में कई देशों नें चीन की तरफ मदद का भी हाथ बढ़ाया है और उन देशों ने चीन को मास्क सहित अन्य मेडिकल सामग्री भी प्रदान किया है। इस स्थिति में भारत सरकार के द्वारा मास्क और अन्य मेडिकल सामग्री के निर्यात पर रोक के कदम को चीनी सोशल मिडिया पर नकारात्मक प्रतिक्रिया मिली है। इस संकट की घड़ी में भारत सरकार के इस कदम को कई लोगों ने अमानवीय करार दिया है। कई लोगों का कहना है कि भारत इस स्थिति में भी अपनी सूझबूझ से काम नहीं कर रहा है और अमरिकी इशारों पर नाच रहा है। इस स्थिति में भारत सरकार को एक डाक्टरों का टीम भेजना चाहिए था जिससे कि इस वायरस के बारे में उन्हें जानने का मौका मिलता और कूटनीतिक तौर पर दोनों देशों के सबंध में मधुरता आती।
सरकारी तंत्र में भी आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी
एक तरफ जहाँ सरकार इस समस्या के निबटने के लिए पुरजोर कोशिश कर रही है वहीं सोशल मिडिया वीचैट और वेइपो पर सरकार को जनता की नकारात्मक प्रतिक्रिया को भी झेलना पड़ रहा है। कई लोग सोशल मिडिया के माध्यम से आरोप लगा रहे हैं कि सरकार इस समस्या से निपटने के लिए टालमटोल वाली रवैया अपना रही है। विशेषतौर पर वुहान शहर के मेयर का बयान और ह्वांग कांग के निदेशक की इस वायरस से हुई क्षति की अनभिज्ञता ने लोगों में रोष पैदा कर दिया है। हालांकि सरकार ने कई संबंधित पदाधिकारियों को उनके पदों से बर्खास्त कर दिया है लेकिन सरकारी तंत्र में भी आरोप-प्रत्यारोप का दौर नहीं रुक रहा है।
कोरोना वायरस के फैलने से चीन में राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक तौर पर कई ऐसे पहलू उजागर हुए हैं जो कि इस महामारी से निपटने के बाद ही पूरी तरह सुलझ पाएंगे। हालांकि चीन सरकार का दावा है कि समय रहते इस महामारी पर काबू पा लिया जाएगा। ऐसा विश्वास भी है कि चीन सरकार समय रहते इस वायरस पर काबू पा लेगी, अंततः क्षति तो मनुष्य मात्र को ही झेलना पड़ता है।
( प्रोफेसर विकास कुमार सिंह जो इस लेख के लेखक है चीन में बीजिंग के फॉरेन स्टडीज यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर हैं।)