- एलएसी पर तनाव के बीच आज विदेश मंत्री एस जयशंकर की चीनी समकक्ष वांग यी से मुलाकात होनी है
- दोनों नेता शंघाई सहयोग संगठन की बैठक में हिस्सा लेने के लिए मास्को में हैं, जहां उनकी मुलाकात होगी
- भारत-चीन तनाव को देखते हुए भारत और चीन के विदेश मंत्रियों की इस मुलाकात को अहम माना जा रहा है
मास्को : चीन से बढ़ते तनाव के बीच विदेश मंत्री एस जयशंकर की आज अपने चीनी समकक्ष वांग यी से मुलाकात होनी है। दोनों नेता मास्को में हो रहे शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक के लिए यहां पहुंचे हुए हैं। बीते दिनों रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की भी मास्को में चीनी रक्षा मंत्री से मुलाकात हुई थी, जिसमें तनाव दूर करने पर चर्चा हुई। हालांकि इसका कोई सर्वमान्य हल अब तक सामने नहीं आया है।
शाम 6 बजे होगी होगी मुलाकात
अब विदेश मंत्री एस जयशंकर की उनके चीनी समकक्ष वांग यी से मुलाकात होने वाली है, जो शाम 6 बजे होगी। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बाद यह दूसरी बार है जब किसी कैबिनेट मंत्री की मुलाकात चीनी प्रतिनिधि से होने जा रही है। इससे पहले विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पूर्वी लद्दाख में मौजूदा हालात को 'बेहद गंभीर' बताते हुए यह भी कहा था कि इसका असर दोनों देशों के संपूर्ण रिश्तों पर भी पड़ेगा।
भारत-चीन के रिश्तों में तनाव को देखते हुए इस मुलाकात को काफी अहम माना जा रहा है। आपसी तनाव को दूर करने के लिए दोनों देशों के बीच कई दौर की कूटनीतिक व सैन्य वार्ता हो चुकी है, लेकिन यह अब तक बेनतीजा ही रही है। चीन ने एलएसी पर बड़ी संख्या में सैनिकों का जमावड़ा कर रखा है और भारी मात्रा में हथियार भी जुटाए हैं, जिसे देखते हुए भारत ने भी इन इलाकों में सैन्य तैनाती बढ़ा दी है।
एलएसी पर लगातार बढ़ रहा तनाव
बढ़ते तनाव के बीच भारत बार-बार डिसइंगेजमेंट पर जोर दे रहा है, जिसका अर्थ यह है कि दोनों देशों की सेना पीछे हटे और एक-दूसरे के आमने-सामने न हों। इसके बाद ही डि-एस्कलैशन यानी तनाव दूर करने की संभावावना बन सकती है। लेकिन एलएसी पर जो हालात हैं, वे तनाव घटाने की बजाय बढ़ाने वाले हैं। दोनों देशों के सैनिक आमने-सामने एक-दूसरे के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं।
मास्को में बीते सप्ताह जब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की चीनी समकक्ष वेई फेंगही से मुलाकात हुई थी, तब भी भारत ने पूर्वी लद्दाख में यथास्थिति को बनाए रखने और सैनिकों को तेजी से हटाने पर जोर दिया। साथ ही दोनों देशों के बीच कूटनीतिक व सैन्य माध्यमों के जरिये बातचीत जारी रखने की आवश्यकता भी जताई गई। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी मौजूदा हालात को देखते हुए दोनों पड़ोसी मुल्कों के बीच राजनीतिक स्तर की 'गहन चर्चा' पर जोर दिया है।