- चीन के भारत ही नहीं अमेरिका से भी रिश्ते तल्ख होते जा रहे हैं
- इस बीच अमेरिका ने 1000 चीनी नागरिकों का वीजा रद्द कर दिया है
- अमेरिका ने चीनी छात्रों, रिसर्चर्स पर जासूसी की आरोप लगाया है
वाशिंगटन : चीन से बढ़ते तनाव के बीच अमेरिका ने 1,000 से अधिक चीनी नागरिकों के वीजा रद्द कर दिए हैं। इनमें अधिकांश छात्र और शोधकर्ता हैं। अमेरिका का आरोप है कि ये चीनी रिसर्चर्स यहां अध्ययन के नाम पर डेटा चुराने की कोशिशें कर रहे हैं। वे स्टूडेंट्स वीजा का दुरुपयोग करते हुए अनुसंधानों क चोरी का प्रयास कर रहे हैं और इसलिए उनका वीजा रद्द करने का फैसला लिया गया है।
अमेरिकी विदेश विभाग की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि 1,000 से अधिक चीनी नागरिकों के वीजा रद्द करने का फैसला राष्ट्रपति की 29 मई की घोषणा के तहत लिया गया है, ताकि उन्हें अनुसंधान से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियों को चुराने से रोका जा सके। चीनी छात्रों व रिसर्चर्स पर यह आरोप भी लगाया गया है कि चीन की सेना के साथ उनकी मिलीभगत है।
अमेरिका-चीन तनाव
यहां उल्लेखनीय है कि विगत कुछ समय में चीन के भारत ही नहीं अमेरिका के साथ भी रिश्ते तल्ख हुए हैं। कोरोना वायरस, हॉन्कॉन्ग में लोगों के अधिकारों के दमन, शिनजियांग में उइग मुसलमानों के साथ ज्यादती और तिब्बत में मानवाधिकारों के हनन पर अमेरिका-चीन आमने सामने हैं। दक्षिण चीन सागर में चीन के बढ़ते दखल से भी दोनों देशों के रिश्ते असहज हुए हैं।
बढ़ते तनाव के बीच जुलाई में अमेरिका ने ह्यूस्टन स्थित चीनी वाणिज्यदूतावास को यह कहते हुए बंद करने का आदेश दिया था कि यह चीनी जासूसी का अड्डा बन गया था। इसके बाद चीन-अमेरिका के संबंध और खराब हो गए। चीन ने अमेरिका के इस कदम को एकतरफा, उकसावे वाला और अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन करार देते हुए बाद में वाशिंगटन को चेंगदू स्थित अपना वाणिज्यदूतावास बंद करने का आदेश दिया था।