नई दिल्ली: इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (आईएमएफ) ने कोरोना वायरस महामारी से उत्पन्न कठिन परिस्थितियों को देखते हुए 1.4 अरब अमेरिकी डॉलर की वित्तीय सहायता दी है। आईएमएफ ने यह फैसला पाकिस्तान के अनुरोध पर किया, जो भुगतान संतुलन संबंधी कठिन संकट से गुजर रहा है। यह राशि छह अरब डॉलर के उस राहत पैकेज के अतिरिक्त होगी, जिसके लिए इस्लामाबाद ने पिछले साल जुलाई में आईएमएफ के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। हालांकि, भारत ने पाकिस्तान को दी जाने वाली मदद पर ऐतराज जताया है। भारत ने पाकिस्तान में कोरोना को लेकर अल्पसंख्यकों के साथ हो रहे भेदभाव पर सवाल उठाया। साथ ही भारत ने कहा कि पाकिस्तान मदद का पैसा सुरक्षा खर्च को बढ़ाने के लिए भी इस्तेमाल कर सकता है। भारत ने यह चिंता आईएमएफ बैठक में व्यक्त की।
'बलूचिस्तान और सिंध में हालत काफी खराब'
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, आईएमएफ के बोर्ड में भारत के कार्यकारी निदेशक सुरजीत एस भल्ला ने बैठक में जोर दिया कि पाकिस्तान के स्वास्थ्य और सामाजिक सुरक्षा का खर्च व्यापक, टार्गेटेड और भेदभाव रहित होना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि बजटीय संसाधन पाकिस्तान के सभी क्षेत्रों में उपलब्ध कराए जाने चाहिए क्योंकि बलूचिस्तान और सिंध प्रांत में कोरोना वायरस के कारण हालत काफी खराब है। भल्ला ने इस बात का भी जिक्र किया कि कैसे अल्पसंख्यक (हिंदू, सिख, ईसाई और अहमदिया समुदाय) जोकि पाकिस्तानी समाज में सबसे कमजोर हैं, उनके साथ अथॉरिटीज द्वारा गलत व्यवहार किया जाता है।
आईएमएफ ने फंड देते वक्त क्या कहा?
आईएमएफ के प्रथम उप प्रबंध निदेशक और कार्यकारी अध्यक्ष जैफ्री ओकामोटो ने कहा, 'कोविड-19 महामारी के प्रकोप से पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर काफी असर हो रहा है।' उन्होंने कहा कि वैश्विक मंदी के साथ ही घरेलू अवरोधों से वृद्धि बुरी तरह प्रभावित हो रही है, जिससे बाहरी वित्तपोषण भी प्रभावित हुआ है। इस कारण तत्काल भुगतान संतुलन को पूरा करने की जरूरत है। ओकामोटो ने कहा कि अधिकारियों ने मौजूदा विस्तारित निधि सुविधा में सुधारों की प्रतिबद्धता को नया रूप दिया है, जो लचीलापन लाने के लिए महत्वपूर्ण होगा। इससे पाकिस्तान की वृद्धि संबंधी क्षमताएं बढ़ेंगी और सभी पाकिस्तानियों को इसका फायदा मिलेगा।