- इमरान खान ने माना, पाकिस्तान में बदलाव ला पाने में रहे नाकाम
- मंत्रालयों के कामकाज पर हैरानी जताई
- प्रशासनिक अमला को सुधारने की पहल की गई लेकिन नतीजे बेहतर नहीं
नेता सामान्य तौर पर अपनी खामी नहीं मानते हैं। वो किसी ना किसी को अपनी खामी के लिए जिम्मेदार ठहराते हैं। बात अगर पाकिस्तान की हो तो यह लाइन वहां की सियासत और सरकार पर सटीक बैठती है। हालांकि पाकिस्तान के पीएम इमरान खान को लगने लगा है कि जो कुछ नारा उन्होंने पाकिस्तान को बदलने के लिए दिया था वो माकूल बदलाव कर सकने में नाकाम रहे हैं। वो एके बेहतर पाकिस्तान बनाने की सोच को लेकर आगे बढ़ रहे हैं लेकिन राह में तरह तरह की दुश्वारियां हैं।
इमरान खान ने आखिर मान लिया
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने स्वीकार किया है कि सत्ता में आने के समय उन्होंने जिस देश का वादा किया था, उसमें वह बदलाव नहीं ला सके।शीर्ष10 सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले मंत्रालयों और संभागों को प्रमाणपत्र प्रदान करने के लिए आयोजित एक समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, "शुरूआत में हम क्रांतिकारी कदमों के माध्यम से तुरंत बदलाव लाना चाहते थे, लेकिन बाद में महसूस किया कि हमारी प्रणाली सदमे को सहन करने में असमर्थ थी।
उम्मीद पर खरे नहीं उतरे मंत्रालय
प्रधानमंत्री इमरान खान ने आगे कहा कि सरकार और मंत्रालयों ने वांछित परिणाम नहीं दिए हैं।उन्होंने कहा, "सबसे बड़ी समस्या यह है कि सरकार और देश के हित के बीच कोई संबंध नहीं है।"उन्होंने पूछा, "क्या हमारे मंत्रालय प्रदर्शन कर रहे हैं कि कैसे निर्यात बढ़ाकर देश को स्थिर किया जाए और कैसे लोगों की स्थिति में सुधार किया जा सकता है, गरीबी को कैसे समाप्त किया जा सकता है?"
'नौकरशाह अब ना नहीं कर सकते'
उन्होंने कहा कि निर्यात बढ़ाना, आयात प्रतिस्थापन खोजना और गरीबी कम करना राष्ट्रीय हित के महत्वपूर्ण क्षेत्र हैं।उन्होंने इनाम और दंड की व्यवस्था स्थापित करने की आवश्यकता पर बल दिया और कहा कि राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो की शक्तियों के संबंध में सुधार किए गए हैं जिससे नौकरशाहों को पहल करने की अनुमति मिलती है।उन्होंने कहा कि एनएबी को सुव्यवस्थित करने के बाद, अब नौकरशाहों के पास 'लंबित फाइलों पर हस्ताक्षर' नहीं करने का कोई बहाना नहीं है।
(एजेंसी इनपुट के साथ)