- हथियारबंद आतंकियों ने पाकिस्तान में हजारा समुदाय से ताल्लुक रखने वाले 11 खनिकों की हत्या कर दी थी
- पीड़ितों के परिजन उनकी लाशें लिए बीते 7 दिनों से बलूचिस्तान के क्वेटा में बैठे हैं और न्याय की मांग कर रहे हैं
- इस बीच प्रधानमंत्री इमरान खान ने हजारा समुदाय के लोगों पर उन्हें 'ब्लैकमेल' करने का आरोप लगाया है
इस्लामाबाद : पाकिस्तान के अशांत दक्षिण-पश्चिमी बलूचिस्तान प्रांत में शिया हजारा समुदाय के लोग किस प्रकार यहां कट्टरपंथी हिंसा का शिकार हो रहे हैं, यह कोई छिपी बात नहीं रह गई है। ह्यूमन राइट्स वाच भी यहां सांप्रदायिक हिंसा में कट्टरपंथियों द्वारा हजारा समुदाय के लोगों को निशाना बनाने की तस्दीक कर चुका है। ताजा मामला बलूचिस्तान के मछ कोलफील्ड में काम करने वाले हजारा समुदाय के 11 निर्दोष खनिकों का है, जिन्हें बंदूकधारियों ने रविवार (3 जनवरी) को गोली मार दी थी। पीड़ितों के परिजन उसी दिन से न्याय की मांग को लेकर यहां धरना-प्रदर्शन कर हैं।
अपनों की लाशें लिए पीड़ितों के परिजन बीते करीब एक सप्ताह से कड़ाके की ठंड के बीच खुले आसमान में प्रदर्शन कर रहे हैं, जिसमें उनका साथ उनके समुदाय के अन्य लोग दे रहे हैं। हजारा समुदाय के लोगों से पाकिस्तान के विपक्षी नेताओं मरियम नवाज और बिलावल जरदारी भुट्टो ने भी मुलाकात की और उनके साथ संवेदना व एकजुटता जताई, पर प्रधानमंत्री इमरान खान उनकी एक मांग को लगातार अनसुना कर रहे हैं और अब उन्होंने इस संबंध में जो कुछ भी कहा है, उससे लोगों ने यह सवाल भी उठाना शुरू कर दिया है कि उनमें संवेदना बची भी है या नहीं।
क्या है हजारा समुदाय की मांग?
हजारा समुदाय के लोग 11 मासूम खनिकों की हथियारबंद आतंकियों द्वारा हत्या किए जाने से नाराज हैं। आतंकियों ने मछ कोलफील्ड के आवासीय परिसर से इन लोगों को बंधक बनाया था। आतंकियों ने अन्य लोगों को छोड़ दिया था, जबकि इस समुदाय के लोगों को अलग कर उनके हाथ बांध दिए और उनकी आंखों पर पट्टी बांधकर पहाड़ी इलाके में ले जाकर उन्हें गोली मार दी। इस वारदात की जिम्मेदार इस्लामिट स्टेट (IS) ने ली है।
हजारा समुदाय के लोग उसी दिन से अपनों की लाशें लिए क्वेटा के पश्चिमी बाईपास पर बैठे हैं, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं। उनका कहना है कि जब तक प्रधानमंत्री इमरान खान आकर उनसे नहीं मिलते और उन्हें सुरक्षा का आश्वासन नहीं देते, वे उन्हें सुपुर्द-ए-खाक नहीं करेंगे।
अपनी ही अवाम के लिए ये क्या बोल गए इमरान खान?
उनकी यही मांग इमरान खान को नागवार गुजर रही है। वह हजारा समुदाय के लोगों की इस मांग को मानने के लिए तैयार नहीं हैं और शुक्रवार को उन्होंने यह भी कह दिया कि वे प्रधानमंत्री को ब्लैकमेल कर रहे हैं। एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा कि किसी भी देश के प्रधानमंत्री को इस तरह से ब्लैकमेल नहीं किया जा सकता। फिर तो हर कोई प्रधानमंत्री को ब्लैकमेल करेगा। इसमें उन्होंने विपक्ष को भी शामिल किया और उन्हें 'डाकुओं का टोला' करार देते हुए कहा कि वे भी तो अपने भ्रष्टाचार केस में माफी को लेकर ढाई साल से सरकार को ब्लैकमेल कर रहे हैं और सरकार गिराने की बातें कर रहे हैं।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में यह भी कहा कि प्रदर्शनकारी हजारा समुदाय के लोग जैसे ही मृत लोगों को दफनाएंगे, वह उनसे मिलने क्वेटा जाएंगे। अगर उन्होंने आज ऐसा किया, वह आज ही उनसे मिलने जाएंगे। पर उनकी यह मांग ठीक नहीं है कि पहले प्रधानमंत्री पहुंचें, तभी वे लाशों को दफनाएंगे।
'पूरी तरह असंवेदनशील', इमरान खान की चौतरफा आलोचना
इमरान खान के बयान की पाकिस्तान में चौतरफा आलोचना हो रही है। पाकिस्तान के विश्लेषकों, पत्रकारों, बुद्धिजीवियों और यहां की अवाम ने भी सोशल मीडिया के जरिये इमरान खान के प्रति नाराजगी जताई है और कहा कि उनका बयान बेहद 'असंवेदनशील' है, जो जाहिर करता है कि उनमें संवेदना नहीं बची है और उन्हें हजारा समुदाय के लोगों के साथ किसी तरह की सहानुभूति नहीं है। पाकिस्तान में सोशल मीडिया पर शुक्रवार को #ApatheticPMIK हैशटैग भी ट्रेंड करता रहा। पत्रकार अंबर राहिम शम्सी ने प्रधानमंत्री इमरान खान की आलोचना करते हुए कहा कि यह प्रस्ताव देकर कि वे पहले लाशों को दफनाएं, उन्होंने खुद हजारा समुदाय के साथ 'निगोशिएशन' की शुरुआत की है। ऐसे में उन्हें ब्लैकमेल करने की बात कहने का हक नहीं है। उन्होंने अपनों को खोने वाले शोक संतप्त परिवारों से विपक्ष की तुलना किए जाने की प्रधानमंत्री की समझ पर भी सवाल उठाए।
वहीं, पत्रकार फहद हुसैन ने लिखा, प्रधानमंत्री ने बेहद गलत शब्द का इस्तेमाल किया। यह उन लोगों के साथ असंवेदशीलता और उनके अपमान को दर्शाता है, जो पहले ही एक बड़ी त्रासदी को झेल रहे हैं। पत्रकार हामिद मीर ने लिखा, 'अपनों की लाशें लिए बैठे ये लोग कैसे किसी को ब्लैकमेल कर सकते हैं?' वहीं वरिष्ठ अधिवक्ता रीमा कमर ने अपने ट्वीट में कहा कि प्रधानमंत्री का यह कहना है कि पहले लोग लाशों को दफनाएं, फिर वह उनसे मिलेंगे, यह जाहिर करता है कि प्रधामनंत्री खुद लोगों को 'ब्लैकमेल' कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर ऐसे कई बयान हैं, जिनमें इमरान खान के शब्दों की कड़ी निंदा की गई है और उनसे अपने बयान वापस लेने की मांग की गई है। अब देखना यह है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री पर इसका कितना असर होता है और वह आगे इस मामले में क्या करते हैं और क्या कहते हैं।