- नेशनल असेंबली में इमरान खान की हार
- सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद हुआ था मतदान
- विपक्ष बोला- संविधान की हुई जीत
इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नतीजा आ चुका है। नेशनल असेंबली के फ्लोर पर वो सरकार बचाने में नाकाम रहे। इस बात के कयास तो पहले से ही लगाए जा रहे थे उनके पास संख्या बल की कमी है लेकिन उसकी पुष्टि हो चुकी है। इमरान खान के बारे में विपक्ष ने कहा कि एक शख्स ने संवैधानिक व्यवस्था को तार तार कर दिया। लेकिन न्यायपालिका ने संविधान की रक्षा की है।
शहबाज शरीफ पाकिस्तान नेशनल असेंबली के नेता चुने गए। अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में 174 वोट पड़े। अविश्वास प्रस्ताव हारने वाले इमरान खान पहले पीएम हैं।
पूरा विपक्ष न्यायपालिका का शुक्रगुजार है। नतीजों के बाद पीटीआई ने कहा कि सदन ने जो फैसला किया है उसका पार्टी स्वागत करती है। लेकिन हमारा रुख पहले की तरह साफ है कि विदेशी ताकतों के इशारे पर पाकिस्तान को अस्थिर करने की साजिश रची जा रही है।
खुद्दार कौम है भारत
शुक्रवार को देश के नाम संदेश में इमरान खान ने कहा था कि भारत और पाकिस्तान एक ही समय में स्वतंत्र हुए। भारत में मेरे बहुत सारे दोस्त हैं। सिर्फ कश्मीर की वजह से हमारे अच्छे संबंध नहीं हैं। लेकिन भारत एक आत्मनिर्भर और स्वाभिमानी देश है। कोई देश भारत को धमकी देने की सोच भी नहीं सकता। इमरान खान ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने कभी तटस्थ अंपायर के साथ नहीं खेला। इसलिए वे ईवीएम से डरते हैं।
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पाकिस्तान में भी ईवीएम पर रोना
वे (विपक्ष) विदेशी पाकिस्तानियों को मतदान से रोकने की कोशिश करेंगे और वे ईवीएम को खत्म करना चाहते हैं। भारत में ईवीएम का इस्तेमाल किया जाता है।इमरान खान द्वारा भारत की तारीफ पर मरियम नवाज ने कहा कि भारत के विभिन्न प्रधानमंत्रियों के खिलाफ 27 अविश्वास प्रस्ताव आए। संविधान, लोकतंत्र और नैतिकता के साथ किसी ने खिलवाड़ नहीं किया। वाजपेयी एक वोट से हारे, घर गए उन्होंने आप जैसे देश, संविधान और राष्ट्र को बंधक नहीं बनाया!
क्या है आगे का रास्ता
एक बात तो साफ है कि जिस तरह अचानक साल 2020 में इमरान खान के खिलाफ विपक्ष ने एकजुट होकर मोर्चा बनाया और धुर-विरोधी पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी और पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज) गुट ने हाथ मिलाया है। यह पाकिस्तान की राजनीति में कोई सामान्य घटना नहीं है। साफ है कि बैकडोर से कहीं न कहीं पाकिस्तान सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा अहम भूमिका निभा रहे हैं। जिसकी तस्वीर कुछ दिनों बाद साफ हो सकती है। इस बीच यह कयास लगाए जा रहे हैं कि विपक्ष पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के नेता शहबाज शरीफ के नेतृत्व में मिली-जुली सरकार बना सकता है। हालांकि पाकिस्तान की राजनीति में आगे कुछ भी हो लेकिन सेना की पैठ को देखते हुए, उसके बिना कुछ होना संभव नहीं दिखता है।