- भारत-चीन सीमा विवाद के बीच अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मध्यस्थता की पेशकश की है
- अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप का कहना है कि उन्होंने इस संबंध में दोनों पक्षों को अवगत करा दिया है
- ट्रंप इससे पहले कश्मीर के मुद्दे पर भी भारत-पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता की पेशकश कर चुके हैं
नई दिल्ली : भारत और चीन में सीमा विवाद को लेकर तनातनी के बीच अब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि वह दोनों देश के बीच मध्यस्था के लिए तैयार हैं। ट्रंप ने यह भी कहा कि इस बारे में उन्होंने दोनों पक्षों को सूचित किया है। ट्रंप की ओर से मध्यस्था की यह पेशकश ऐसे समय में आई है, जबकि पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर भारत और चीन के सैनिकों के बीच टकराव की स्थिति बरकरार है।
चीन से तनातनी के बीच भारत में उच्च स्तरीय बैठक
चीन के साथ तनाव के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को उच्च स्तरीय सुरक्षा बैठक बुलाई थी। प्रधानमंत्री कार्यालय में हुई बैठक में पीएम मोदी के साथ-साथ राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत और तीनों सेना के प्रमुख भी शामिल हुए। इससे पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी सीडीएस जनरल रावत और तीनों सेना प्रमुखों से मुलाकात कर पूर्वी लद्दाख में हालात की जानकारी ली थी।
कोरोना काल में ट्रंप के इस पेशकश के हैं कई मायने
ट्रंप की ओर से भारत-चीन मामलों में मध्यस्थता की पेशकश ऐसे समय में आई है, जबकि पूरी दुनिया कोरोना वायरस महामारी से जूझ रही है और अमेरिका लगातार चीन की तरफ उंगली उठाते हुए पूरी दुनिया को खतरे में डालने का आरोप लगाता रहा है। ऐसे में चीन के साथ सीमा विवाद के मुद्दे पर भारत का साथ देने के पीछे अमेरिका की मंशा चीन को अलग-थलग करने की भी हो सकती है। फिर अमेरिका की चिंता एशिया और अफ्रीका के कई देशों में चीन के बढ़ते प्रभाव को लेकर भी है।
ट्रंप कश्मीर पर भी कर चुके हैं मध्यस्थता की पेशकश
बहरहाल, यह पहली बार नहीं है, जब ट्रंप ने भारत से जुड़े मामलों में मध्यस्था की पेशकश की है। इससे पहले वह कश्मीर के मुद्दे पर भी भारत के साथ मध्यस्थता की पेशकश कर चुके हैं और ऐसा एक बार नहीं, कई मौकों पर हो चुका है। जुलाई 2019 में जब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने अमेरिका का दौरा किया था, तब भी उन्होंने ऐसी इच्छा जताई थी। बाद में उन्होंने एक बार फिर कहा कि अगर पाकिस्तान और भारत चाहें तो 'मैं दखल दे सकता हूं।' उनकी इस बात का जहां पाकिस्तान ने स्वागत किया था, वहीं भारत ने इसे सिरे से खारिज कर दिया था।