- भारत और चीन एक दूसरे के लिए चुनौती नहीं, चीनी राजदूत सुन विडांग का बयान
- दोनों देश के युवा आगे बढ़ने के लिए एक साथ आगे आएं।
- लद्दाख में एलएसी के पास चीनी सैनिकों के जमावड़े से बढ़ गया था तनाव
नई दिल्ली। लद्दाख में जिस तरह से चीन ने 5 हजार सैनिकों की तैनाती की उसके बाद भारत के साथ तनाव बढ़ गया था। भारत ने भी तत्काल उस इलाके में 5 हजार सैनिकों की तैनाती करते हुये साफ कर दिया कि अगर चीन की तरफ से किसी तरह की भड़काने वाली कार्रवाई हुई तो उसका माकूल जवाब दिया जाएगा। लेकिन अब चीन के रुख में नरमी आई है। भारत में चीन के राजदूत सुन विडांग का कहना है कि मतभेदों वजह से संबंधों की कुर्बानी नहीं दी जा सकती है। दोनों देश बहुत से ऐसे मुद्दे हैं जिनपर एक साथ आगे बढ़ सकते हैं।
'भारत और चीन एक दूसरे के लिए चुनौती नहीं'
भारत में चीन के राजदूत कहते हैं कि दोनों देश एक दूसरे के लिए अवसर है न कि चुनौती हैं। ड्रैगन(चीन) और हाथी(भारत) एक साथ नाच सकते हैं। लिहाजा तनाव या एकदूसरे की सीमा में दखल देने का सवाल ही नहीं है। हमें यह देखना होगा कि जब जमीनी स्तर पर किसी तरह का तनाव होता है तो उसका असर हमारे ऐतिहासित संबंधों पर नहीं पड़ना चाहिए। हम लोग मिलजुल कर मतभेदों को सुलझा सकते हैं।
'ड्रैगन और हाथी एक दूसरे के साथ कर सकते हैं डांस'
चीनी राजदूत सुन विडांग कहते हैं कि चीन और भारत दोनों मुल्क कोविड 19 के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं और यह लड़ाई दोनों देशों के आपसी संबंधों को मजबूत करने का आधार बन सकती है। दोनों देशों की युवा शक्ति को एक होकर बेहतर करना चाहिए। वो कहते हैं कि यह बात सही है कि सीमा संबंधी विवाद हैं, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि दोनों देश आगे के रास्तों पर न बढ़ें। अगर किसी तरह का तनाव होता है तो उसे सुलझाने के तमाम रास्ते हैं।
क्या कहते हैं जानकार
अब सवाल यह है कि चीन के सुर में नरमी क्यों आ गई। जानकार कहते हैं कि जिस तरह से ताइवान के मुद्दे पर भारत में सत्ताधारी के दो सांसदों की तरफ से स्टैंड लिया गया वो इस माएने में अहम है क्योंकि भारत सरकार की तरफ से यह संदेश दिया गया कि औपचारिक तौर पर भले ही वो ताइवान के समर्थन में न हो लेकिन वो कहीं न कहीं चीन के स्टैंड को सही नहीं मानती है। इसके साथ ही दक्षिण चीन सागर में चीन की विस्तारवादी नीति का वो विरोध करती है।