- रिपब्लिकन नेता निकी हेली ने चीन के ऐप पर बैन के भारत सरकार के फैसले को सराहा
- विदेश मंत्री माइक पोंपियो पहले ही भारत के इस कदम का स्वागत कर चुके हैं
- भारत ने सुरक्षा का हवाले देकर टिक टॉक, यूसी ब्राउजर सहित 59 ऐप पर लगाया है बैन
वाशिंगटन : चीनी के 59 ऐप पर प्रतिबंध लगाने के भारत सरकार के फैसले का स्वागत अमेरका में हो रहा है। अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोंपियो के बाद रिपब्लिकन पार्टी की नेता एवं भारतीय मूल की अमेरिकी नागरिक निकी हेली ने सरकार के फैसले का स्वागत किया है। निक्की ने कहा है कि भारत यह दिखा रहा है कि चीन की आक्रामकता के आगे वह नहीं झुकेगा। बता दें कि भारत सरकार ने सुरक्षा का हवाला देकर गत सोमवार को टिक टॉक, यूसी ब्राउजर सहित चीन की 59 कंपनियों पर बैन लगा दिया।
निकी हेली ने किया ट्वीट
हेली ने बुधवार को अपने एक ट्वीट में कहा, 'यह देखकर अच्छा लग रहा है कि भारत, चीन को यह दिखा रहा है कि वह उसकी आक्रामकता के आगे झुकने के लिए तैयार नहीं है।' विदेश मंत्री पाइक पोंपियो द्वारा ऐप बैन करने के फैसले का स्वागत किए जाने के कुछ घंटे बाद संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की पूर्व राजदूदत ने यह ट्वीट किया। पोंपियो ने चीनी की स्वामित्य वाली कंपनियों पर बैन लगाने के भारत सरकार के फैसले का स्वागत किया।
माइक पोंपियो ने भी किया स्वागत
उन्होंने कहा, 'यह फैसला भारत की एकता एवं राष्ट्रीय सुरक्षा' को मजबूत करने वाला है।' उन्होंने कहा, 'हम चीन के कुछ मोबाइल एप कंपनियों पर प्रतिबंध लगाने के भारत के फैसला का स्वागत करते हैं। ये कंपनियां चीन की कम्युनस्टि पार्टी (सीसीपी) की निगरानी विभाग की सहयोगी हैं।' उन्होंने यह बात विदेश मंत्रालय में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कही। विदेश मंत्री ने कहा, 'इंडिया का क्लिन ऐप अप्रोच उसकी संप्रभुता को मजबूती देने के साथ एसकी एकता एवं राष्ट्रीय सुरक्षा को और पुख्ता करेगा।'
सीनेटर रूबियो ने कहा-यह पहले हो जाना था
रिपब्लिकन सीनटेर मार्को रूबियो ने भी चीनी ऐप पर प्रतिबंध लगाने के भारत सरकार के फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कहा, 'ये कदम उचित ही नहीं, बल्कि इन पर बहुत पहले बैन लग जाना था।' बता दें कि अमेरिका भी चीनी कंपनियों हुवेई एवं जेडटीई के खिलाफ कदम उठा रहा है।
गलवान घाटी की हिंसा के बाद भारत-चीन में तनाव
गत 15 जून की गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई हिंसक घटना के बाद दोनों देशों के संबंधों में काफी तनाव आ गया है। लद्दाख सहित वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के समीप दोनों देशों ने अपनी सेना में इजाफा कर दिया है। हालांकि, सीमा पर बने इस गतिरोध एवं तनाव को दूर करने के लिए दोनों देशों की तरफ से कूटनीतिक एवं सैन्य स्तर पर बातचीत भी चल रही है।