- पाकिस्तान फौज को सता रहा है एक और सर्जिकल स्ट्राइक का डर
- एलओसी पर 'हाई अलर्ट' पर पाक फौज, जवाबी कार्रवाई करने के निर्देश
- कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली में कई दिनों से आंदोलन कर रहे हैं किसान
कराची : पाकिस्तान को डर है कि किसान आंदोलन को कमजोर करने के लिए भारत उस पर एक और 'सर्जिकल स्ट्राइक' कर सकता है। इसे देखते हुए सीमा पर उसनी सेना को 'हाई अलर्ट' पर रखा है। 'द एक्सप्रेस ट्रिब्यून' की रिपोर्ट के मुताबिक पाक को खुफिया इनपुट मिले हैं कि नए कृषि कानूनों पर किसानों के प्रदर्शन से ध्यान हटाने एवं आंदोलन को कमजोर करने के लिए भारत सरकार सीमा पर बड़ी कार्रवाई अथवा सर्जिकल स्ट्राइक के लिए के लिए आगे बढ़ सकती है।
'ध्यान भटकाने के लिए किसी भी हद तक जा सकती है भारतीय फौज'
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि मोदी सरकार की नीतियां उल्टा पड़ गई हैं। ऐसे में चिंता है कि हार्ड लाइन हिंदू राष्ट्रवादी सरकार किसानों के प्रदर्शन को कमजोर करने एवं खालिस्तान आंदोलन को बल देने से रोकने के लिए वह किसी भी हद तक जा सकती है। रिपोर्ट में अत्यंत विश्वनीय सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि भारत के साथ लगने वाली अंतरराष्ट्रीय सीमा एवं नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर तैनात पाकिस्तानी सेना को भारतीय कार्रवाई का जवाब देने के लिए 'हाई अलर्ट' पर रखा गया है। नाम उजागर न करने की शर्त पर सूत्रों ने बताया कि भारत की तरफ से होने वाली किसी भी कार्रवाई का जवाब देने के लिए सुरक्षाबलों को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं।
'26 फरवरी 2019 को भारत ने किया सर्जिकल स्ट्राइक'
बता दें कि 14 फरवरी 2019 को जैश-ए-मोहम्मद ने पुलवामा में सीआरपीएफ के एक काफिले पर आत्मघाती हमला किया था। इस हमले सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हुए। इस हमले का जवाब देने के लिए भारतीय वायु सेना (आईएएफ) ने 26 फरवरी को बालाकोट स्थित जैश के सबसे बड़े प्रशिक्षण केंद्र को निशाना बनाया। आईएएफ की इस कार्रवाई में बड़ी संख्या में आतंकवादी मारे गए। बालाकोट सर्जिकल स्ट्राइक के जरिए भारत ने स्पष्ट संकते दे दिया कि जरूरत पड़ी तो वह सीमा पार करने से भी पीछे नहीं हटेगा।
कृषि कानूनों का किसान कर रहे विरोध
भारत सरकार ने कृषि सुधारों को लागू करने के लिए तीन नए कृषि कानून लाए हैं। किसानों को आशंका है कि इन कानूनों से सरकारी मंडियां और एमएसपी व्यवस्था धीरे-धीरे खत्म हो जाएगी। हालांकि, सरकार ने उन्हें भरोसा दिया है कि एमएसपी और मंडियां पहले की तरह चलती रहेंगी लेकिन किसान अपना आंदोलन वापस लेने के लिए तैयार नहीं है। वे तीनों कानूनों को खत्म करने की मांग पर अड़े हैं। समस्या का समाधान निकालने के लिए किसान संगठनों एवं भारत सरकार के बीच पांच दौर की वार्ता हो चुकी है लेकिन बातचीत से अभी कोई हल नहीं निकल सका है।