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चीन से तनातनी के बीच अगले सप्‍ताह अमेरिका-भारत की बातचीत, हिंद प्रशांत क्षेत्र में 'ड्रैगन' पर बढ़ेगा दबाव?

Updated Oct 21, 2020 | 06:43 IST

India US 2+2 dialogue: पूर्वी लद्दाख में भारत के साथ तनाव के बीच चीन की गतिविधियां हिंद प्रशांत क्षेत्र में भी बढ़ रही हैं। इसे देखते हुए भारत-अम‍ेरिका वार्ता को बेहद अहम माना जा रहा है।

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तस्वीर साभार:&nbspAP, File Image
चीन से तनातनी के बीच अगले सप्‍ताह अमेरिका-भारत की बातचीत, हिंद प्रशांत क्षेत्र में 'ड्रैगन' पर बढ़ेगा दबाव?
मुख्य बातें
  • भारत और अमेरिका के बीच अगले सप्‍ताह 2+2 संवाद होने जा रहा है
  • रणनीतिक रूप से बेहद महत्‍वपूर्ण यह वार्ता नई दिल्‍ली में होगी
  • इसमें हिंद प्रशांत क्षेत्र की चुनौतियों और इससे निपटने पर ध्‍यान केंद्र‍ित होगा

वाशिंगटन : भारत और अमेरिका के बीच एक बार फिर 2+2 संवाद होने जा रहा है, जिसमें दोनों देशों के रक्षा एवं विदेश मंत्री हिस्‍सा लेंगे। इस बार बातचीत के केंद्र में हिन्‍द-प्रशांत क्षेत्र की चुनौतियां और उन तरीकों पर चर्चा होगी, जिनके जरिये इनसे पार पाया जा सकता है। भारत और अमेरिका के बीच यह रणनीतिक बातचीत अगले सप्‍ताह होगी। यह वार्ता ऐसे समय में होने जा रही है, जबकि चीन के साथ पूर्वी लद्दाख में भारत की तनातनी बरकरार है और भारत, अमेरिका सहित कई देश हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती गतिविधियों को लेकर चिंता जता चुके हैं।

अमेरिकी रक्षा मंत्री मार्क एस्‍पर ने भारत और अमेरिका के बीच अगले सप्‍ताह होने वाली बातचीत की जानकारी देते हुए कहा कि वह और अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पिओ भारत और अमेरिका के बीच 2+2 स्‍तर की वार्ता के लिए अगले सप्‍ताह भारत में होंगे। उन्‍होंने इस बातचीत को बेहद अहम करार देते हुए कहा, 'भारत हमारे लिए महत्‍वपूण साझीदार है।' उन्‍होंने यह भी कहा कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र के देश इस बात को अच्‍छी तरह समझते हैं कि चीन क्‍या कर रहा है।

'चीन की आक्रामकता का सामना कर रहा भारत'

भारत की तारीफ करते हुए एस्‍पर ने कहा, 'भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र और एक सक्षम देश है। यहां के लोग बेहद प्रतिभावान हैं। भारत को रोजाना हिमालय क्षेत्र में चीन की आक्रामकता का सामना करना पड़ रहा है, खासकर पूर्वी लद्दाख में वास्‍तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर।'

उन्‍होंने यह भी कहा कि क्षेत्र में कई अन्‍य देशों को भी चीन की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। मंगोलिया से लेकर न्‍यूजीलैंड, ऑस्‍ट्रेलिया, थाईलैंड से लेकर पलाऊ और प्रशांत द्वीप समूह के देशों की अपनी यात्रा का जिक्र करते हुए उन्‍होंने यह भी कहा कि सभी देश चीन की चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, जबकि कुछ देशों को चीन की ओर से सैन्‍य दबाव का सामना भी करना पड़ रहा है। इस क्रम में उन्‍होंने एलएसी पर भारत-चीन के बीच तनाव का जिक्र किया।

अटलांटिक काउंसिल के अध्‍यक्ष फ्रेडरिक केंप के साथ मंगलवार को बातचीत में उन्‍होंने कहा, 'सवाल चीन के विकास नहीं है, मुद्दा यह है कि यह किस तरह आगे बढ़ रहा है और हम इसी को अंतरराष्‍ट्रीय मंचों पर उठाते रहे हैं।' उन्‍होंने जोर देकर कहा कि वैश्विक गतिविधियों के संबंध में हर किसी को अंतरराष्‍ट्रीय कानून का पालन करने की आवश्‍यकता है।