बीजिंग : चीन में शी जिनपिंग के सत्ता संभालने के बाद भ्रष्टाचार विरोधी अभियान को तेजी से आगे बढ़ाया जा रहा है, जिसे लेकर कई सवाल भी उठ रहे हैं। चीन के राष्ट्रपति शसी जिनपिंग पर आरोप लगता रहा है कि इस अभियान का इस्तेमाल वास्तव में वह अपने विरोधियों के दमन के लिए कर रहे हैं। शी जिनपिंग के खिलाफ जो भी आवाज उठाता है, उनके खिलाफ इसी अभियान के तहत कार्रवाई की जाती है और इसके जरिये अन्य लोगों को भी एक सबक दे दिया जाता है। ताजा मामला चीन की बड़ी आईटी कंपनियों में शुमार अलीबाबा के संस्थापक जैक मा और कभी बड़े कारोबारी रहे लाई शिओमिन का है, जिन्हें लेकर शी प्रशासन सवालों के घेरे में है।
जैक मा के डेटा पर 'ड्रैगन' की नजर!
जैक मा बीते कुछ समय से सार्वजनिक तौर पर नजर नहीं आ रहे हैं, जिसकी वजह से उनके 'गुमशुदा' होने की कई रिपोर्ट्स भी सामने आई हैं। बीते करीब दो महीने में उनकी संपत्ति में भी बड़ी गिरावट दर्ज की गई है, जिसके बाद माना जा रहा है कि चीन ने या तो उनके देश छोड़ने पर रोक लगा दी है या उन्हें नजरबंद कर दिया है। जैक मा और शी प्रशासन के बीच टकराव की वजह कंज्यूर्स डेटा को बताया जा रहा है, जो जैक मा की बड़ी वित्तीय-प्रौद्योगिकी कंपनी ने एकत्र किए हैं।
दरअसल, जैक मा की कंपनी के पेमेंट व लाइफस्टाइल एप 'अली पे' का इस्तेमाल अरबों लोग करते हैं और चीनी नियामकों का माना है कि इससे कंज्यूमर्स की खर्च करने की आदतों, उधार लेने और बिल-भुगतान से संबंधित जानकारी जुटाई जा सकती है। अब तक ये डेटा पूरी तरह जैक मा की कंपनी की संपत्ति रही है, जिनका इस्तेमाल कर वह लोन के लेनदेन में बिचौलिये की भूमिा अदा कर बिजनेस में लाभ उठाती रही है। लेकिन चीन इस डेटा पर अब कंपनी के एकछत्र राज को समाप्त करना चाहता है।
'वाल स्ट्रीट जर्नल' की रिपोर्ट में पिछले दिनों यह भी कहा गया था कि जैक मा ने अक्टूबर 2020 में एक मंच से कुछ ऐसा कहा, जिसे चीन के राष्ट्रपति की आलोचना के तौर पर देखा गया। इसके बाद से ही वह सार्वजनिक तौर पर नजर नहीं आ रहे हैं। बीते साल अक्टूबर के बाद उनकी संपत्ति में भी गिरावट दर्ज की गई है, जिसे जैक मा और उनकी कंपनी के खिलाफ शी प्रशासन की कार्रवाई से जोड़कर देखा जा रहा है। ब्लूमबर्ग बिलियनेयर इंडेक्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अक्टूबर में जहां जैक मा के कारोबार का नेटवर्थ 61.7 अरब डॉलर था, वहीं यह घटकर अब 51.2 अरब डॉलर हो गया है।
भ्रष्टाचार के मामले में अब दी गई मौत की सजा
जैक मा को लेकर चल रही इन खबरों के बीच अब चीन में एक बड़े कारोबारी रहे लाई शिओमिन को मौत की सजा सुनाई गई है। चीनी शहर तियानजिन की एक अदालत ने लाई को मौत की सजा सुनाई है और अपने फैसले में कहा कि उनके अपराध से देश के हितों को भारी नुकसान हुआ है। चीन हाओरांग असैट्स मैनेजमेंट कंपनी के चेयरमैन रहे लाई को 1999 में कंपनी की स्थापना के बाद 2008 से लेकर 2018 के बीच करीब 28 करोड़ अमेरिकी डॉलर की रिश्वत लेने का दोषी ठहराया गया है। साथ ही उन्हें भ्रष्टाचार और एक से अधिक शादी करने के मामले में भी सजा सुनाई गई है। चीनी मीडिया रिपोर्ट्स में लाई के बारे में कहा गया कि उन्होंने 100 से अधिक संपत्तियां बनाई और अपनी पत्नी तथा प्रेमिकाओं में बांट दी।
(तस्वीर साभार : Twitter )
लाई शिओमिन को 2018 में गिरफ्तार किया गया था। लाई की गिरफ्तारी के बाद उनके आवास और अन्य ठिकानों से बड़ी मात्रा में संपत्ति जब्त की गई थी। चीन में शी के सत्ता संभालने के बाद भ्रष्टाचार विरोधी अभियान में कारोबारियों और सार्वजनिक जीवन से जुड़े लोगों को सजा देना कोई हैरानी की बात नहीं है, लेकिन जिस तरह से उन्हें मौत की सजा सुनाई गई है, उससे लोगों में चिंता बढ़ गई है। यह राष्ट्रपति शी जिनपिंग के भ्रष्टाचार विरोधी अभियान के तहत सुनाई गई 'अब तक की सबसे कठोर सजा' बताई जा रही है। वहीं यह भी कहा जा रहा है कि चीन की शी सरकार इसके जरिये व्यापारियों में भय पैदा करने के साथ-साथ अपने आलोचकों को भी कड़ा संदेश देना चाह रही है, ताकि सभी एक खास तरीके से अनुशासित रहें और सरकार की आलोचनाओं से परहेज करें।
लाई शिओमिन के बारे में भी ऐसी रिपोर्ट्स समाने आ रही हैं, जिनमें कहा जा रहा है कि उन्होंने चीन के मौजूदा राष्ट्रपति की नीतियों की आलोचना की थी, जिसके बाद ही उन्हें गिरफ्तार किया गया और उनके खिलाफ कार्रवाई की गई। चीन में शी जिनपिंग की अगुवाई में शुरू किए गए भ्रष्टाचार विरोधी अभियान के तहत अब तक 15 लाख से अधिक सरकारी अधिकारियों को दंडित किया जा चुका है। इससे सरकारी अधिकारियों और कॉरपोरेट्स के बीच एक तरह का खौफ देखा जा रहा है। खासकर लाई शिओमिन को मौत की सजा सुनाए जाने के बाद शी प्रशासन सवालों के घेरे में है, क्योंकि भ्रष्टाचार के मामलों में मृत्युदंड सामान्य सजा नहीं है। इसे अंतरराष्ट्रीय मानकों के खिलाफ करार देते हुए कार्यकर्ताओं ने लाई की सजा को आजीवन कारोबार में बदलने की मांग भी की है।