- अगर ताइवान स्ट्रेट में संघर्ष हुआ तो शामिल होने से नहीं बच सकेगा जापान ।
- सैन्य अभ्यासों से अस्थिर दक्षिण चीन सागर में क्षेत्रीय सैन्य संघर्ष बढ़ने का खतरा है।
- जापान में बने अमेरिकी सैन्य ठिकाने भी चीन के निशाने पर हैं।
China-Taiwan and USA Relation: उत्तर कोरिया ने सालों से बिना किसी बड़ी घटना के जापान के जल क्षेत्र में मिसाइलें दागी हैं। लेकिन जब चीन जैसे शक्तिशाली और आक्रामक दुश्मन ने गुरुवार को ये किया तो दुनिया भर से प्रतिक्रिया अलग थी। गुरुवार को सैन्य अभ्यास के रूप में की गयी मिसाइलों की फायरिंग ने टोक्यो से वाशिंगटन तक सुरक्षा और राजनीतिक हलकों में तेजी से चिंता बढ़ा दी है।
विश्लेषकों का कहना है कि बीजिंग द्वारा ताइवान के पूर्व में, जापान के विशेष आर्थिक क्षेत्र में पांच मिसाइलों की फायरिंग ने अमेरिका और जापान दोनों को ताइवान की सहायता के लिए आगे आने को लेकर एक चेतावनी है।
क्या जापान में बने अमेरिकी ठिकानों पर हमला कर सकता है ड्रैगन?
पेंटागन के पूर्व अधिकारी और वाशिंगटन में सेंटर फॉर स्ट्रेटेजिक एंड बजटरी असेसमेंट के अध्यक्ष थॉमस जी मेनकेन ने कहा कि, "बीजिंग वाशिंगटन को याद दिलाना चाहता है कि वह न केवल ताइवान, बल्कि इस क्षेत्र में अमेरिकी ठिकानों जैसे की Okinawa पर Kadena Air Base पर भी हमला कर सकता है।"
थॉमस जी मेनकेन ने ये भी कहा कि चीन द्वारा पांच मिसाइल की फायरिंग जापान को ये भी याद दिलाना चाहती है कि ओकिनावा पर अमेरिकी सेना की मौजूदगी जापान को भी चीन का निशाना बनाती है।
स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में जापान के विदेशी संबंधों के विशेषज्ञ डैनियल स्नाइडर ने एक अख़बार से बात करते हुए कहा, "चीन यह दिखाना चाहता हैं कि उनके पास ताइवान की पूरी तरह घेराबंदी करने की क्षमता है, और वे उन लोगों को एक बहुत स्पष्ट संदेश भेजना चाहते हैं जो ताइवान के सहायता के लिए आएंगे। जिसका साफ़ मतलब है की चीन अमेरिका और जापान को भी निशाना बना सकता है।"
स्नाइडर ने ये भी कहा की "अगर जापान में किसी को ये लगता है कि वे ताइवान स्ट्रेट में संघर्ष में शामिल होने से बच सकते हैं, तो ये उनकी गलत धारणा है।"
अस्थिर दक्षिण चीन सागर में सैन्य संघर्ष बढ़ने का खतरा
जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने जापान के विशेष आर्थिक क्षेत्र में पांच मिसाइलों की फायरिंग के बाद चीन से ताइवान के आसपास अपने सैन्य अभ्यास को तुरंत रोकने के लिए कहा है।
विवाद में जापान के प्रवेश से पहले से ही अस्थिर दक्षिण चीन सागर में क्षेत्रीय सैन्य संघर्ष बढ़ने का खतरा है। जहां चीन के पहले से अन्य क्षेत्रीय दावे हैं। इसी बीच खबरों के अनुसार अपने सबसे हालिया सरकारी रिपोर्ट में, जापान के रक्षा मंत्रालय ने आगाह किया कि अमेरिका-चीन टकराव की संभावना को देखते हुए देश में "सेंस ऑफ़ क्राइसिस" होनी चाहिए।
हालांकि टकराव की संभावनाओं को देखते हुए जापान के सैन्य योजनाकारों ने अमेरिकी बलों के साथ समन्वय बढ़ा दिया है और दक्षिणी जापान में अधिक सैनिकों और मिसाइल की तैनाती भी शुरू कर दी है। कहा जा रहा है की टकराव की स्तिथि में सबसे आगे की पंक्ति में दक्षिणी जापान का हिस्सा हो सकता है।
वहीँ पिछले दिसंबर, ताइवान के एक नीति संगठन की बैठक में, पूर्व प्रधान मंत्री शिंजो आबे ने चेतावनी दी थी कि "ताइवान संकट जापान संकट होगा। दूसरे शब्दों में कहें, अमेरिका-जापान गठबंधन के लिए संकट होगा।'' शिंजो आबे ने अमेरिका की ताइवान को लेकर रणनीतिक अस्पष्टता को लेकर भी सवाल खड़े किये थे। तो क्या चीन का ये मिलिट्री एक्सरसाइज वही अमेरिका - जापान संकट है? क्यूंकि जापानी जल क्षेत्र में मिसाइल दाग कर बीजिंग चेतावनी दे रहा है कि यदि दोनों देश किसी भी संघर्ष में ताइवान की सहायता की तो वे ड्रैगन का निशाना बन जाएंगे।