- दक्षिण पूर्वी चीन के तट से करीब 100 मील की दूरी पर ताइवान स्थित है। और अगर इस पर चीन का कब्जा हो जाता है तो सीधा खतरा अमेरिका के लिए होगा।
- चीन दुनिया में तीसरी सबसे बड़ी सैन्य ताकत है। जबकि ताइवान 21 वीं बड़ी सैन्य ताकत है।
- अमेरिकी कांग्रेस द्वारा ताइवान रिलेशंस एक्ट-1979 को पारित किया गया था।
China-Taiwan and USA Relation: अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की अध्यक्ष नैन्सी पेलोसी की मंगलवार की ताइवान यात्रा ने पूरी दुनिया की चिंताएं बढ़ा दी हैं। एक तरफ चीन पेलोसी की यात्रा से भड़क कर ताइवान को सैन्य धमकी दे रहा है और उसे डराने के लिए उसकी चारों तरफ से घेराबंदी कर सैन्य ड्रिल कर रहा है। दूसरी ताइवान भी चीन की चुनौती से लड़ने की बात कर रहा है। चीन के मुकाबले सैन्य क्षमता में बेहद कमजोर होकर भी ताइवान किसी भी परिस्थितियों से निपटने की तैयारी कर रहा है। ताइवान के पास इतना हौसला कहां से आया तो इसकी सबसे बड़ी वजह अमेरिका का सुरक्षा कवच है। और उसकी बानगी भी दिखने लगी है। अमेरिका ने चीन के सैन्य ड्रिल को देखते हुए यूएसएस रोनॉल्ड रीगन (USS Ronald Regan) एयरक्रॉफ्ट करियर को फिलीपींस सागर में तैनात कर रखा है। साफ है कि ताइवान की सुरक्षा की जिम्मेदारी अमेरिका ने संभाली हुई है। और यही वजह है कि चीन चाह कर भी ताइवान पर ज्यादा कुछ कर नहीं पाता है।
1979 में हुआ था समझौता
सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेसन स्टीडज के अनुसार अमेरिका, चीन और ताइवान के संबंधों की कड़ी अमेरिका और चीन के बीच हुआ वन चाइना पॉलिसी समझौता है। जिसके तहत अमेरिका ने 1979 में पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना (PRC) को मान्यता दी थी। जबकि उसने रिपब्लिक ऑफ चाइना को अवैध मान लिया था। हालांकि इस समझौते में एक बात और स्पष्ट थी, कि अमेरिका, चीन पर ताइवान की संप्रभुता को नहीं स्वीकार करता है। लेकिन वह ताइवान को भी चीन से अलग स्वतंत्र राष्ट्र की मान्यता नहीं देता है। इसलिए अमेरिका, चीन से आधिकारिक और ताइवान से गैर आधिकारिक संबंध रखता है। इसी नीति पर अमेरिकी कांग्रेस ने ताइवान रिलेशंस एक्ट-1979 को पारित किया। जिसमें विशेष परिस्थितियों में ताइवान की सुरक्षा की जिम्मेदारी अमेरिका को दी गई है। इसी आधार पर अमेरिका ताइवान के लिए एक सुरक्षा कवच के रुप में काम करता है।
चीन की आतंरिक राजनीति के लिए आवश्यक था यह युद्ध अभ्यास
ताइवान रणनीतिक रूप से अमेरिका के लिए अहम
दक्षिण पूर्वी चीन के तट से करीब 100 मील की दूरी पर ताइवान स्थित है। और अगर इस पर चीन का कब्जा हो जाता है तो सीधा खतरा अमेरिका के लिए होगा। क्योंकि गुआम और हवाई द्वीप पर मौजूद अमेरिकी सैन्य ठिकाने सीधे चीन के निशाने पर आ जाएंगे। साथ ही पश्चिमी प्रशांत महासागर में चीन को खुला रास्ता भी मिल सकता है। जो सीधे तौर पर अमेरिकी हितों को प्रभावित करेगा। इसीलिए अमेरिका ताइवान का समर्थन करता रहता है। और उसे एक सुरक्षा कवच भी देता है।
चीन और ताइवान का मुकाबला नहीं
ग्लोबल फॉयर पावर इंडेक्स की रिपोर्ट के अनुसार चीन दुनिया में तीसरी सबसे बड़ी सैन्य ताकत है। जबकि ताइवान 21 वीं बड़ी सैन्य ताकत है। चीन के पास 20 लाख सक्रिय सैनिक हैं। जबकि ताइवान के पास 1.70 लाख सैनिक हैं। इसी तरह चीन के पास 3285 एयर क्रॉफ्ट हैं। जबकि ताइवान के पास 751 एयर क्रॉफ्ट हैं। चीन के पास 281 अटैक हेलिकॉप्टर हैं तो ताइवान के पास 91 अटैक हेलिकॉप्टर हैं। चीन के पास 79 पनडुब्बियां हैं जबकि ताइवान के पास 4 पनडुब्बियां हैं।