- चीन की विस्तारवादियों नीतियों को लेकर जारी शंकाओं के बीच NATO ने उसके इरादों को लेकर चेताया है
- 'नाटो 2030- यूनाइटेड एरा रिपोर्ट' में कहा गया है कि चीन आने वाले समय में दुनिया के लिए खतरा बन सकता है
- रिपोर्ट में भारत सहित अन्य पड़ोसी मुल्कों के खिलाफ चीन की आक्रामक रणनीति की ओर संकेत किया गया है
वाशिंगटन : चीन की विस्तारवादी नीतियों से भारत नहीं, दुनिया के कई देश चौकन्ना हैं, जो 'ड्रैगन' की नीतियों को दीर्घकालिक खतरे के तौर पर देखते हैं। इन्हीं परिस्थितियों के बीच नॉर्थ एटलांटिक ट्रिटी ऑर्गेनाइजेशन (NATO) की रिपोर्ट में दुनिया के समक्ष चीन की ओर से आने वाले खतरों को लेकर आगाह किया गया है और कहा गया है कि चीन की ओर से आसन्न सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए ज्यादा समय, राजनीतिक संसाधन और कार्रवाई की आवश्यकता है।
'नाटो 2030- यूनाइटेड एरा रिपोर्ट' में कहा गया है कि चीन की नीतियों पर अगर अंकुश नहीं लगाया गया तो यह आने वाले समय में दुनिया के लिए बड़ा खतरा बन सकता है और विश्व पर सैन्य ताकत थोपने की कोशिश कर सकता है। रिपोर्ट में रूस और चीन के बीच आपसी सहयोग के कारण यूरो-एटलांटिक सिक्योरिटी पर पड़ने वाले प्रभाव की निगरानी के लिए नाटो के ज्वाइंट इंटेलिजेंस एंड सिक्योरिटी डिविजन में एक स्पेशल यूनिट का प्रस्ताव भी दिया गया है।
'खतरनाक हो सकते हैं आपसी मतभेद'
समाचार एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक, इसमें स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि नाटो के भीतर आपसी राजनीतिक मतभेद खतरनाक हो सकता है, जिससे चीन व उसके सहयोगी रूस को फायदा मिल सकता है। दुनिया के समक्ष चीन की ओर से पेश होने वाली सुरक्षा चुनौतियों की ओर संकेत करते हुए कहा गया है कि अगर चीन को रोका नहीं गया तो 2030 तक चीन दुनिया के लिए बड़ा खतरा बन सकता है। इसलिए चीन की नीतियों के खिलाफ एक राजनीतिक रणनीति विकसित करने की आवश्यकता है।
भारत सहित अन्य पड़ोसी मुल्कों के खिलाफ चीन की आक्रामक रणनीति की ओर संकेत करते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि हाल के दशकों में चीन ने अपने पड़ोसियों के खिलाफ ताकत के इस्तेमाल के साथ-साथ हिंद-प्रशांत क्षेत्र और इससे इतर छोटे-छोट मुल्कों को आर्थिक जाल में फंसाने का काम किया है और धमकी भरी कूटनीति का भी सहारा लिया है। इसी आधार पर रिपोर्ट में कहा गया है कि आने वाले दशकों में चीन नाटो के लिए भी एक बड़ा खतरा बन सकता है।